For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धीरे धीरे बोंलो जी,
कानो में रस घोलो जी |
 
चबा चबा कर खाओ जी, 
खाओ और पचाओं जी :|
 
भोगी से योगी बनना सीखो, 
रोगी कभी न बनना जी | 
 
एक दूजे को जानो जी,
एक दूजे को राह दिखाओ जी 
 
रस्ते रस्ते चलना जी, 
देर लगे, लगने दो जी |
 
भाइयों के बीच ही बैठो जी 
बैर भलेही होंवे जी |
 
बच्चों को सिखलाओ जी, 
इन्हें नहीं धमकाओ जी |
 
कहने वाले कहते जी, 
अपने मन की मानो जी |
 
बैर/मतभेद किसी से हो जाए,
पर गाँठ कभी न बांधो जी |
 
सीखो और सिखलाओ जी, 
दुनिया को कुछ दे जाओ जी |
 
काव्य रस अपनाओ जी 
तुकबंदी को त्यागो जी |
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

 

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2012 at 1:29pm

आपकी टिपण्णी से रचना की सार्थकता सिद्ध हो गयी,

हार्दिक आभार आपका आदरणीय उमाशंकर मिश्राजी  
Comment by UMASHANKER MISHRA on September 6, 2012 at 11:06pm

आदरणीय लक्षमन प्रसाद  लड़ीवाला जी आपकी इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई

उपयोगी और शिक्षा प्रद है

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 6, 2012 at 11:15am

रचना के भाव पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद बही योगी सारस्वत जी

Comment by Yogi Saraswat on September 6, 2012 at 10:07am
एक दूजे को जानो जी,
एक दूजे को राह दिखाओ जी
बहुत खूब , प्रेम का भाव लिए हुए मधुर कविता , लाक्स्मन प्रसाद जी !
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2012 at 8:06pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रेखा जोशीजी 

Comment by Rekha Joshi on September 5, 2012 at 8:00pm

खूबसूरत रचना आदरणीय लक्ष्मण जी ,बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2012 at 6:24pm

रचना सर्थक लगी, इसके लिए हार्दिक आभार आपका श्री कुमार गौरव अजितेंदु जी,

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 5, 2012 at 12:06pm
सब शिक्षाप्रद बातें कही है आपने आदरणीय लक्ष्मण सर। बहुत-बहुत बधाई।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2012 at 9:41am

धन्यवाद राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 4, 2012 at 5:33pm

सच में काव्य रस सुनने में मधुर लगता है ---बहुत खूब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निशा स्वस्ति "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब की आज्ञानुसार :- "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 168…"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।"
2 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल पर आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय फिर अन्य भाषाओं ग़ज़ल कहने वाले छोड़ दें क्या? "
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"गुरु जी जी आप हमेशा स्वस्थ्य रहें और सीखने वालों के लिए एक आदर्श के रूप में यूँ ही मार्गदर्शक …"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//मेरा दिल जानता है मैंने कितनी मुश्किलों से इस आयोजन में सक्रियता बनाई है।// आदरणीय गुरुदेव आप…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सभी गुणीजनों की बेहतरीन इस्लाह के बाद अंतिम सुधार के साथ पेश ए ख़िदमत है ग़ज़ल- वाक़िफ़ हुए हैं जब…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//उर्दू ज़बान सीख न पाए अगर जनाब वाक़िफ़ कभी न होंगे ग़ज़ल के हुनर से हम'// सत्यवचन गुरुदेव। सादर…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service