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होठों से छुआ भी
खेलती उँगलियों
में रही...
अस्तित्व मेरा
उड़ गया
धुंए का ओढ़ कर
सफ़ेद कफ़न
और
रोंदी हुई
जूते के तले से
पड़ी हुई है...
मेरी लावारिस-
- लाश...

© AjAy Kum@r

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Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:03pm

Abhaar Vandana ji evam Rekha ji....

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 4:49pm

होठों से छुआ भी
खेलती उँगलियों
में रही...
अस्तित्व मेरा
उड़ गया
धुंए का ओढ़ कर
सफ़ेद कफ़न

badhiya bhaav,badhaai

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 15, 2012 at 2:22pm

Baagi ji namaskaar,

Baat ki gahraai ek gahri soch vala vyakti hi samajh pata hai, aapne kavita ke marm ko samjha, main abhari hoon aapka.... 

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 15, 2012 at 2:20pm

Aadarniye Kushwaha ji, main to aapse umar aur tajurbey mein bahut chhota hoon, kripya  sharminda na karein, aapko kavita pasand aayi mera likhna sarthak hua...hridye se abhaar vyakt karta hoon...

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 15, 2012 at 2:17pm

Bahut bahut shukriya Mahima ji, aapke ye tareef bhare shabd mujhko isi Kavita ka teesra part likhne ki prerna de rahe hain...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 15, 2012 at 9:12am

जूते के तले से
पड़ी हुई है...
मेरी लावारिस-
- लाश...

बहुत खूब अजय जी, कम शब्दों में गहरी बात, बधाई आपको |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 14, 2012 at 4:42pm

aadarniy ajay ji, saadar

kamal kar diya. badhai. jitni baar padh raha hoon utna hi aanand mil raha hai. darshan bhi chupa hai.

Comment by MAHIMA SHREE on May 14, 2012 at 4:09pm
वाह अजय जी .. पहले वाले से भी ज्यादा सुंदर बन पड़ा है ..बधाई आपको
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 14, 2012 at 10:42am

Bahut Bahut dhanyavaad Bhramar ji,

Hausla afzahi ka shukriya Rajesh ji...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2012 at 11:13pm

vaah bahut sundar.sigaratte ka anjaam.

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