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कल्पना में बिखरे कुछ टुकड़े पेश हैं:

 

घर में छा जातीं खुशियाँ

अगर कोई लल्ला हो गया l

 

और अगर जन्मी बिटिया

तो भारी पल्ला हो गया l

 

जब कभी फसल हुई कम

तो मंहगा गल्ला हो गया l

 

कोई डिग्री लेकर घर बैठे

तो वो निठल्ला हो गया l

 

शादी क्या हुई जनाब की

बीबी का पुछल्ला हो गया l

 

कभी जरूरत पड़ी बचाव की

तो हाथ ही बल्ला हो गया l

 

गरीब हुआ दफन चुपचाप

अमीर पर हल्ला हो गया l

 

दाल-रोटी ना भाये उसको

पिज्जा खा मुटल्ला हो गया l

 

जेल गये सिर्फ लल्लू भाई

बदनाम पूरा मोहल्ला हो गया l

 

-शन्नो अग्रवाल

 

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Comment

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Comment by Shanno Aggarwal on January 25, 2012 at 7:15pm

राज जी, आपका हार्दिक धन्यबाद.

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 4:41pm

सौरभ जी, आप जैसे विद्द्वान रचनाकार के मुख से अपनी रचनाओं की प्रशंसा सुनकर कितनी खुशी मिलती है मैं बता नहीं सकती. आपका आभार सहित बहुत-बहुत धन्यबाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 24, 2012 at 8:52am

इन विचारों को आप फुटकर खयाल कहती हैं ? ये तीखे सवाल हैं.  जो सवालों की शक्ल में न हो कर बतियाते हुए समझाते जाते हैं.  इन द्विपदियों के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ.

 

Comment by राज लाली बटाला on January 23, 2012 at 9:57pm

और अगर जन्मी बिटिया

तो भारी पल्ला हो गया l Sach hai !! khoob !

Comment by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 2:22pm

किरन, बहुत धन्यबाद आपका.

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 11:04am

घर में छा जातीं खुशियाँ

अगर कोई लल्ला हो गया l

और अगर जन्मी बिटिया

तो भारी पल्ला हो गया l.........दी यथार्थ को दर्शाती सुंदर पंक्तिया, यह आज भी हमारी बिडम्बना है बेटे के होने पर खुशियाँ मनाई जाती है और बेटी के होने पर शोक.........

Comment by Shanno Aggarwal on January 17, 2012 at 3:43pm

योगराज जी,
आपके जैसे महान रचनाकार से अपनी रचना की तारीफ़ सुनकर कितनी खुशी हुई है इसे बता नहीं सकती...रचना लिखना सफल हो गया. इस तरह के उत्साहजनक कमेन्ट से और भी लिखने की प्रेरणा मिलती है. आपका हार्दिक धन्यबाद.  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 17, 2012 at 3:32pm

आपकी रचनाएँ सदा ही एक अजीब सी ताजगी लिए होती हैं आदरणीया शन्नो जी. इन द्विपदीयों के माध्यम से बहुत सुन्दर और सामयिक सन्देश दिया हैं आपने, साधुवाद स्वीकारें.

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