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ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  

मुझे दूसरी का पता नहीं 

***********************

तुझे है पता तो बता मुझे, मैं ये जान लूँ तो बुरा नहीं

मेरी ज़िन्दगी यही एक है, मुझे दूसरी का पता नहीं

 

मुझे है यकीं कि वो आयेगा, तो मैं रोशनी में नहाऊंगा

कहो आफताब से जा के ये, कि यक़ीन से मैं हटा नहीं

 

कहे इंतिकाम उसे मार दे, कहे दिल मेरा उसे प्यार दे   

मेरा फ़लसफ़ा है अजीब जो, लगे है भला प भला नहीं

 

मुझे छोड़ जा मेरे साथ ही न सहारा दे न ही दे दवा

ये मेरे हबीब का दर्द है , मेरी साँस से ये जुदा नहीं   

 

न उमीद रख न उदास हो न दुआयें दे न ही बद दुआ 

जो कफ़स को तोड़ के उड़ गया, उसे भूल जा तू बुला नहीं

 

मैं जिया था खुद से ही बेखबर, कोई चीज थी जो नहीं है अब

मुझे खुद में डूब समझ मिली, रह-ए-जीस्त मुझको पता नहीं

 ********************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on Friday

आदरणीय आजी भाई उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by Aazi Tamaam on Thursday

खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on Thursday

अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on Thursday

आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी ग़ज़ल लगी ....  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2025 at 4:55pm

आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको पसंद आना , ये और कुछ अच्छा कहने के लिए हिम्मत बढ़ा रहा है , आपका आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2025 at 1:07pm

आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय है. 

विशेषकर, निम्नलिखित अश’आर के लिए विशेष बधाइयाँ - 

मुझे है यकीं कि वो आयेगा, तो मैं रोशनी में नहाऊंगा

कहो आफताब से जा के ये, कि यक़ीन से मैं हटा नहीं

 

न उमीद रख न उदास हो न दुआयें दे न ही बद दुआ 

जो कफ़स को तोड़ के उड़ गया, उसे भूल जा तू बुला नहीं

हार्दिक बधाइयाँ 

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2025 at 8:00pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 28, 2025 at 5:22am

आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। एक जटिल बह्र में खूबसूरत गजल कही है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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