Added by dandpani nahak on September 27, 2020 at 6:02pm — 13 Comments
Added by dandpani nahak on April 9, 2020 at 2:17am — No Comments
Added by dandpani nahak on November 3, 2019 at 11:41pm — 1 Comment
Added by dandpani nahak on October 27, 2019 at 4:24pm — 8 Comments
Added by dandpani nahak on October 18, 2019 at 11:30am — 4 Comments
Added by dandpani nahak on October 8, 2019 at 3:07pm — 5 Comments
Added by dandpani nahak on September 2, 2019 at 1:42pm — 2 Comments
Added by dandpani nahak on July 30, 2019 at 8:46pm — 3 Comments
1222 1222 1222
तमन्ना है कि बैठें पास कुछ बात हो
अगर ख्वाब हो तो फिर कैसे मुलाकात हो
क़यामत भले हो जाये उस के बाद अच्छा
किनारा झील का औ चांदनी रात हो
तभी तो मैं तुम्हारा हूँ कहूँ खुद को
मेरी आँखों से निकले तेरे ज़ज़्बात हो
फिरूँ हूँ मैं तलाश में तेरी ख्वाब मेरे
कभी तो रु ब रु कोई करामात हो
दुआओं में मांगू मैं यही हर पल
ख़ुशी हो पास तेरे और इफरात हो
दण्डपाणि नाहक
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by dandpani nahak on July 16, 2019 at 10:00pm — 1 Comment
Added by dandpani nahak on May 3, 2019 at 10:46am — 1 Comment
Added by dandpani nahak on March 12, 2019 at 10:09am — 2 Comments
जब क़सम हिंदुस्तान की है
फिक्र फिर किसे जान की है
फ़लक है समूचा तिरंगा
यही बात तो शान की है
ज़माने हुए थी सचाई
तस्वीरें ही पहचान की है
मुद्दतों से तो हम न सुधरे
घडी आज इम्तहान की है
शिखर पर मुल्क हो हमारा
ये ख्वाहिश ही नादान की है
दण्डपाणि नाहक
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by dandpani nahak on August 15, 2018 at 10:00pm — 2 Comments
एक दुजे के अब हबीब नहीं रहे हैं
लोकतंत्र औ हम करीब नहीं रहे हैं
फसल की वाज़िब मिले क़ीमत ऐसी तो
हम किसानों के नसीब नहीं रहें हैं
खत्म करके सब गरीबों को मुल्क से
घोषणा कर दो गरीब नहीं रहे हैं
हर ज़ुल्म हमने सहे हैं मगर फिर भी
यूँ कभी भी बेतर्तीब नहीं रहें हैं
मंदिर मस्जिद एक साथ न हो कभी भी
इस क़द्र तंग तहज़ीब नहीं रहे हैं
दण्डपाणि नाहक
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by dandpani nahak on March 21, 2018 at 8:00pm — 5 Comments
Added by dandpani nahak on March 5, 2018 at 7:32pm — 3 Comments
Added by dandpani nahak on February 5, 2018 at 5:01pm — 1 Comment
Added by dandpani nahak on February 3, 2018 at 2:41pm — 4 Comments
2212/2212/2212
फ़रमान सरकारी यह किसान की तरफ
तकते रहो बस आसमान की तरफ
बुल्लेट ट्रेन बहुत नफ़ा देगा तुम्हें
पटरी जब गुज़र जाय खलिहान की तरफ
हम आपकी दुगुनी करेंगे आय को
नदियाँ मुड़ेंगी जब सब मकान की तरफ
दो ही रस्ते अब बच रहे आखीर में
उन के रहें साथ या हिंदुस्तान की तरफ
माना सियासत में सबकुछ है जायज़
कुछ तो फ़र्ज़ होता है इनसान की तरफ
दण्डपाणि नाहक
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by dandpani nahak on January 18, 2018 at 1:00am — 1 Comment
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