For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amit Tripathi Azaad's Blog (5)

मेरे महबूब

मेरे महबूब सपनों से हक़ीक़त बन तू आ जाए

मेरा उजड़ा हुवॉ जीवन मेरी जाँ फिर सवर जाए



मुझे अहसास अब होने लगा है इश्क़ में तेरे

कहीं ना ज़िन्दगी तेरी ही गलियों में गुज़र जाए

जिसे हो जुस्तजू तेरी वो बेचारा किधर जाए

जिए वो ज़िंदगी अपनी या आहें भर के मर जाए

मैं अक्सर आह भरता हूँ तेरे दीदार के ख़ातिर

झलक तेरी मिले गर तो मेरा जीवन सँवर जाए

तेरी गलियों की मिट्टी भी मुझे जन्नत से प्यारी है

चले गर साथ हम दोनों मुहब्बत भी निखर…

Continue

Added by Amit Tripathi Azaad on April 22, 2016 at 10:03am — 6 Comments

चेहरा तेरा चाँद का टुकड़ा

चेहरा तेरा चाँद का  टुकड़ा

भौहें तनी कमान हैं क्या

इन आँखों में मैं मर जाऊँ

होंठों का तिल शान है क्या..2

तेरे तन की ख़ुशबू लेकर

फूल चमन में खिलते हैं

शायर तेरे हुशनो जवाँ की

दिल में किताबें लिखते हैं

उठी नज़र फिर झुक जाए तो

ढल जाती ये शाम है क्या

इन आँखों पे ...

तेरे लबों की बात करूँ तो

खिले कमल शर्माते हैं

तेरे क़दम जो पड़े जमी पे

शहंशाह झुक जाते हैं

तेरा खनकता स्वर गूंजा या

वीना की कोई तार है…

Continue

Added by Amit Tripathi Azaad on April 19, 2016 at 6:14pm — No Comments

मेरे सपनों का गाँव

मेरे सपनों में अक्सर ही

आकर मुझे जागता है

गाँव मेरा मुझको फिर यारों

वापस मुझे बुलाता है

वो खलिहानों की पगडंडी

सड़क बन गई काली है

दीपक भी अब नहीं रह गए

लाइट चमक निराली है

जिनके ख़ातिर दूर गया तू

वो सब मुझे दिखाता है

गाँव मेरा ....

मिट्टी के घर नहीं रहे अब

ईंटों के माकान बने

निर्मल निश्चल दिल वाले

अब पत्थर के इंसान बने

दिन प्रति दिन उन पत्थर में

इंसान नज़र ना आता है

गाँव...

हरे भरे तालाब सूखकर खेलों के…

Continue

Added by Amit Tripathi Azaad on April 19, 2016 at 1:09pm — 3 Comments

"माँ शारदे वंदना "

भवदिव्य भाव मनोरमां,झन झनक झन झनकार दे

जय जयति जय जय ,जयति जय जय जयति जय माँ शारदे

कमलासिनी वरदायिनी माता हमें वरदान दे

जय जयति ........

चरणों में तेरे हैं समर्पित ज्ञान की ले याचना

वेदों का कर दो दान माते कर रहे हम प्रार्थना

माँ हम फसें मझधार में भवतारिणी तू तार दे

जय जयति.......

माँ छेड़ दो वो राग जिससे स्वरमयी धारा बहे

लोकों में तीनो मातु तेरी लोग सब जै जै कहें

स्वरदायनी माँ स्वरस्वती स्वर का हमें अधिकार दे

जय…

Continue

Added by Amit Tripathi Azaad on February 12, 2016 at 10:00am — 1 Comment

लाल रंग

लाल रंग"

शिवरात्रि को रौशनी शंकर जी के मंदिर में पूजा कर रही थी तभी उसे सूरज की आवाज सुनाई देती है

"रोशनी रुक जाओ मेरी बात तो सुनो"

"नहीं सूरज तुम नहीं जानते हमारे इस तरह मिलने ये समाज क्या क्या ताने मारेगा......।

"रोशनी किन तानो से डरती हो ....?

जो दर्द ,जो शापित जिंदगी तुम जी रही हो क्या इसकी ज़िम्मेदार तुम हो।"

"नहीं सूरज मैं विधवा हूँ मेरे ज़िन्दगी में रंगों की कोई जगह नहीं.....

"रौशनी बीस वर्ष की उम्र में वैध्वय..क्या जो समाज तुम्हारे जीवन से खुशियो के…

Continue

Added by Amit Tripathi Azaad on February 4, 2016 at 6:23pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service