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Julie's Blog – September 2010 Archive (4)

"भईया"





नम आँखें...

आँखों में इंतज़ार...

कभी घड़ी को तकती...

तो कभी दरवाज़े की चौखट को...

और कभी थाली में सजी रेशम की डोर को...

उसमें सजे मोतियों की चमक में दिखता तेरा मुस्कुराता चेहरा...

और खो जाती मैं उस सुन्हेरे बचपन में...

जहाँ हर पल तेरा मुझे छेड़ना...

मुझे चिढ़ाना और चोटी खींचना...

तब भी आंसू देता था और आज भी...



तेरा शैतानियाँ करना और मेरा उन्हें माँ से छुपाना...

मुझे कोई रुलाये…
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Added by Julie on September 22, 2010 at 2:44am — 5 Comments

"कुछ पन्ने पुराने"





पुरानी डायरी देख...

खुल गये कुछ पन्ने पुराने...

कुछ सपने... कुछ अरमाँ... कुछ यादें...

जिन्हें कभी जीया था मैनें, यूँ ही...

यँहीं इन पन्नों में...

जिनकी भीनी-भीनी महक...

आज भी गुमा रही थी मुझे...



वही ताज़गी... वही एहसास... वही मासूमियत...

पर कुछ है...

जो अब वैसा नही...

क्या है...???

शायद... ’मैं’...???



हाँ... ’मैं’...!!

नही रही अब ’मासूम’...

नही रहे अब वो…
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Added by Julie on September 9, 2010 at 7:28pm — 8 Comments

"मैं खुश हूँ"



आज...

मैं बहुत खुश हूँ...

पूरी दुनिया 'कल' थी...

पर 'मैं' आज हूँ..

क्योंकि आ ज मिला है मुझे...

एक नया खिलौना...

जिसे सब कह रहे थे 'तिरंगा'...



कल था ये सबके हाथों में...

चाहता था मैं भी...

इसे छूना...

लहराना...

फेहराना...

पर किसी ने ना दिया इसे हाथ लगाना...

जैसे ना हो 'हक' मुझे इन सबका...



कल था तरसता सिर्फ 'एक' को...

आज पाया है पड़ा 'अनेक' को...

कल…
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Added by Julie on September 5, 2010 at 9:37pm — 4 Comments

चार पंक्तियाँ 'कान्हा' के 'नाम'...!!


घर तू आएगा ये जानती थी मैं...
इसलिए तो मटकी है जान के थोड़ी ऊँची बाँधी...
गुम हो तुझे कुछ पल निहार तो सकूँगी...
वरना तुझे देखने उमड़ पड़ती है हर पल गोपियों की आंधी...!!

::::जूली मुलानी::::
::::Julie Mulani::::

Added by Julie on September 2, 2010 at 1:30am — 2 Comments

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