For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


जीवन... जीतें हैं लोग...
वही... जो, जैसा मिल जाता है उन्हें...
पर इस एक जीवन में... है एक और जीवन...
जिसे, अक्सर भूल जातें हैं हम...
वो है 'रंगों' का जीवन...
हर रंग एक जीवन खुद में...
हर जीवन एक रंग खुद में....
हर रंग की अपनी कहानी...
हर कहानी का अपना रंग...
खुशियाँ, उदासियाँ, उल्लास, विश्वास...
जीवन की तरह हर मोड़ है यहाँ...
हर खुशबू है, हर सपना है...

कभी उदासी में साथ देता...
कभी मुस्कान में चार-चाँद लगता...
इन्सां बदलते देखे...
रंगों का हाथ पकड़ते छोड़ते देखे...
पर ये रंग... ... ...
ये कभी नहीं बदलते...
इनकी तासीर... इनके एहसास, रहते हैं...
हमेशा... एक जैसे...
बस... एह्सासना नहीं आता हमें...
कभी जो रंग लगता चमकीला...
कभी उसी की चमक चुभती आँखों को...
कभी जिस रंग की उदासी लुभाती...
कभी उसकी उसकी उदासी ध्यान बंटाती...

इन रंगों ने तो देना चाह जीवन हमेशा...
ये बताते इनकी तरह है जीवन भी...
हर रंग से भरा...
बस, चुनना है हमें...
सही रंग, और भरना है उसे...
सही मात्रा में... तो ही...
देखेंगे हम, जीवन के 'कैनवास' में...
सजता... हर वो रंग...
जो करता हो पूरा...
हमारा चित्र... हमारा 'जीवन'...!!

::::::::जूली मुलानी::::::::
:::::::;Julie Mulani::::::::

Views: 1679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on October 22, 2010 at 11:48am
Shesh jee Thank-U SO much for Ur very Loving Words... Absolutely Right You are that Friends fill Colours in Our Life... I'm Really Glad to be Ur Friend... tOO...!! Thanks for the Comment...!! :-)
Comment by Julie on October 11, 2010 at 11:47pm
बागी जी सही कहा आपने... "रंगों का जीवन मे साक्षात्कार कर लेना ही तो जिन्दगी है"... बहुत बहुत शुक्रिया आपकी बधाई का...!! :-)
Comment by Julie on October 11, 2010 at 11:46pm
नविन जी उम्मीद करती हूँ... इस बार आपका पेट भर गया होगा... :-))) खैर... आपकी हौंसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया... पसंद आया जान के ख़ुशी हुई...!! :-)
Comment by Julie on October 11, 2010 at 11:45pm
शुक्रिया 'अभिनव जी'... बस कोशिश ज़ारी है... आपकी शुभकामनाओं का तहे दिल से आभार...!! :-)
Comment by Julie on October 11, 2010 at 11:44pm
शुक्रिया 'राणा जी'...!!
Comment by Julie on October 11, 2010 at 11:44pm
दीप जी सही फ़रमाया आपनें...!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 10, 2010 at 12:38pm
बस, चुनना है हमें...
सही रंग, और भरना है उसे...
सही मात्रा में... तो ही...
देखेंगे हम, जीवन के 'कैनवास' में...
सजता... हर वो रंग...
जो करता हो पूरा...
हमारा चित्र... हमारा 'जीवन'...!!
बहुत बढ़िया जुली जी, जीवन मे कई रंग होते है , रंगों का जीवन मे साक्षात्कार कर लेना ही तो जिन्दगी है , बधाई इस खुबसूरत कविता पर |
Comment by Abhinav Arun on October 10, 2010 at 9:18am
सच है भावनाओं के चटख रंग में पगी आपकी रचना ,ताजगी भरी और इन्द्रधनुषी है. यूं ही ओ.बी.ओ. को खुश रंग करतीं रहें .शुभकामनाएं .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 10, 2010 at 8:42am
बहुत सुन्दर...जीवन रंग बिरंगा|
Comment by DEEP ZIRVI on October 9, 2010 at 11:37pm
रंगीन दुनियाँ मे रंग हीनजल भी है ;जिसका कोई रंग न्हीं और सभी रंग जिस के हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service