For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Neeraj Nishchal's Blog (70)

प्रीत की रीत न कोई जाने [गीत ]

ऊद्धव कन्हैया से जाकर सिर्फ इतना बता दीजियेगा ।

हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

उनकी खातिर दिलों जाँ लुटाया ।

और ज़माने को दुश्मन बनाया ।

उनके पीछे ये दुनिया भुलायी ।

उनकी राहों में पलकें बिछायी ।

उनके बिन बृज में क्या हो रहा है हाल सारा सुना दीजियेगा ।

हे कृष्ण प्रेमी जनों की अब कुछ तो खबर लीजियेगा ।

उनके बिन अपनी हालत न पूछो ।

कैसी है दिल में चाहत न पूछो ।

हम तो मर मर के जीने लगे हैं ।…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on July 6, 2013 at 8:00am — 4 Comments

देखो चुपके से रात चली है [नज़्म]

चाँद सितारों संग, महकी बहारों संग,

देखो चुपके से रात चली है ।

गहरी खामोशी में, ऐसी मदहोशी में ,

दिल में फिर तेरी बात चली है ।

चाँद का जब दीदार करूँ तो ।

दिल के झरोखे से प्यार करूँ तो ।

यादों की महकी बारात चली है ।

पूछो ना काटी कैसे तनहाई ।

याद जो आये वो तेरी जुदाई ।

आँखों से मेरे बरसात चली है ।

थाम के बाहें बाहों में ऐसे ।

चले दो राही राहों में ऐसे ।

जैसे संग सारी कायनात चली है ।

प्यार…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on June 30, 2013 at 12:00pm — 15 Comments

जीवन में जब से तुम आये [गीत]

नए रंग खिले नए फूल खिले ,

जीवन में जब से तुम आये |

आँखों से घटाएं बरस रहीं ,

ये प्रेम के सागर लहराए |

कभी पत्थर जैसे जीते थे |

बेहोशी में दिन बीते थे |

जीवन को बोझ सा ढोते थे |

तनहाई में अक्सर रोते थे |

मायूस मेरा दिल नाच उठा ,

जब देख हमे तुम मुस्काये |

सूना इस दिल का आँगन था |

कहीं भटका भटका सा मन था |

औरों को अपना कहते थे |

खुद से ही खफा हम रहते थे…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 27, 2013 at 3:00pm — 9 Comments

जो गीत ह्रदय से निकला हो

जो गीत ह्रदय से निकला हो , कागज़ पे लिखो बेमानी है ।

वो गीत ह्रदय पर लिखना, ही जीवन की प्रेम कहानी है |

जब दिल में प्रेम उमड़ता है, आँखों से आंसू बहते हैं ,

मोती हैं समझने वालों को, नासमझो को तो पानी है ।

हर प्रेमी अपने प्रियतम को, हर हाल में पान चाह रहा ,

नासमझ भला ये क्या जाने, प्रेम तो तो एक कुर्बानी है ।

जब प्रेम दिलों में फूटे तो, वो सबके लिए बराबर हो ,

पर प्रेम में भेद भी होता है, इस बात पे ही है…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 27, 2013 at 2:35pm — 19 Comments

मै कौन हूँ तुम्हारा [गीत]

इतना मुझे बता दो , मै कौन हूँ तुम्हारा ।

तेरी ओर बहती जाये , मेरी ज़िन्दगी की धारा ।

साँसों से बन्ध के जैसे , कोई डोर खींचती है ।

जाने मुझे क्यों पल पल , तेरी ओर खींचती है ।

हर सांस में सिसक कर, दिल ने तुम्हे पुकारा ।

तेरी ओर बहती जाये , मेरी ज़िन्दगी की धारा ।

मैकश अगर मै कोई , तू मेरा मैकदा है ।

पीता हूँ जाम तेरे , मुझको तेरा नशा है ।

आँखों में तैरता है , तेरे प्यार का नज़ारा ।

तेरी ओर बहती जाये , मेरी ज़िन्दगी…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 24, 2013 at 2:54pm — 19 Comments

ज़िन्दगी

वजहों के बोझों तले क्यों , बेवजह है ज़िन्दगी |

जीने वालों के लिए , जैसे सज़ा है ज़िन्दगी |

 

साँसों के संग ही चल रही साँसों के संग थम जायेगी ,

आती जाती सांसो का एक सिलसिला है ज़िन्दगी |

 

हमने बनाये जो यहाँ खो जायेंगे वो सब मकाँ 

जिसकी मंजिल मौत है वो रास्ता है ज़िन्दगी |

 

हम जी रहे हैं आज में और सोचते कल की सदा ,

इस जगह को छोड़कर क्यों उस जगह है ज़िन्दगी |

 

ये दिल हमारा है मगर यहाँ ख्याल है किसी और का…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 22, 2013 at 11:30am — 11 Comments

सागर में सागर की खोज [गीत ]

समन्दर में बसी मछली, समन्दर ढूढ़ती है क्यों ।

जो उसके हर तरफ फैला, उसे ना देखती है क्यों ।

वो सागर से पूछती है, बता तेरा पता है क्या ।

बताये कैसे ये सागर, बताने को भला है क्या ।

जहाँ पर वो वही सागर ,नही ये सोचती है क्यों ।

समन्दर में बसी मछली............................|

ना जाने कौन सा सागर, लिए बैठी ख़यालों में ।

वो लहरों में भटकती है, फसा करती है जालों में ।

वो पल पल जी रही जिसमे, उसी को भूलती है क्यों…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 18, 2013 at 11:30pm — 6 Comments

चाँद बादल में छुपा [नज़्म]

चाँद बादल में छुपा,  परछाइयाँ भी खो गयीं ।

साथ मेरा छोड़ कर , तनहाइयाँ भी सो गयीं ।

चुप्पियों की बाढ़ आयी , सारे मेले बह गये ।

महफ़िलों की गोद में भी , हम अकेले रह गये ।

खामोश मेरे हाल पर , खामोशियाँ भी हो गयीं ।

साथ मेरा छोड़ कर , तनहाइयाँ भी सो गयीं ।

अब तो कोई दर्द कोई गम भी बाकी ना रहा ।

मेरी इस…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 18, 2013 at 11:00pm — 16 Comments

जब दर्द गुजरता हो दिल से [नज़्म]

जब दर्द गुजरता हो दिल से , वो पल नज़दीक भी होने दो |

जब छोड़ के जाएँ लोग मुझे , अब वो तकलीफ भी होने दो |

तूफ़ान मै सारे सह जाऊं , बहने दो अगर मै बह जाऊं |

अब ये परवाह नही मुझको , मै मिटूँ या बाकी रह जाऊं |

न रोको मेरे इन अश्कों को बीती यादों को धोने दो |

जब दर्द गुजरता हो दिल से.........................|

सब सहकर भी…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 17, 2013 at 11:00am — 12 Comments

अदभुत समर्पण

तूफ़ान जोरों पर था , बादलों की घुमड़ घुम भी शुरू हो चुकी थी , पतझड़ के मौसम में सारी पत्तियां झड़ चुकी थीं , उनका तिनकों से बना घोंसला मुझे साफ़ नज़र आ रहा था , वो हवा में डोलती डालों पर सहमे सहमे बैठे कभी अपने घोंसलों को देखते तो कभी इस तूफानी मंज़र में अपनी नज़र इधर उधर दौड़ाते , एकाएक मै उन परिंदों की भाव वेदना में डूब सा गया , कितने बेसहारा, कितने असुरक्षित , कितना निर्दोष भाव ,कोई शिकायत नही , ये कैसा समर्पण , लगा कि कहर भी परमात्मा ढा रहा हो और उसे झेल भी परमात्मा ही रहा हो , दो…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on May 16, 2013 at 9:34pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service