For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन में जब से तुम आये [गीत]

नए रंग खिले नए फूल खिले ,

जीवन में जब से तुम आये |

आँखों से घटाएं बरस रहीं ,

ये प्रेम के सागर लहराए |

कभी पत्थर जैसे जीते थे |

बेहोशी में दिन बीते थे |

जीवन को बोझ सा ढोते थे |

तनहाई में अक्सर रोते थे |

मायूस मेरा दिल नाच उठा ,

जब देख हमे तुम मुस्काये |

सूना इस दिल का आँगन था |

कहीं भटका भटका सा मन था |

औरों को अपना कहते थे |

खुद से ही खफा हम रहते थे |

थाम के बाहें तुम मेरी

मुझको मेरे घर ले आये |

तेरे शुक्र में कुछ ना कह पाऊं |

अच्छा है यही चुप रह जाऊं |

सिज़दे में में शीश झुका लूँ मै |

कुछ हंस लूँ रो लूँ गा लूँ मै |

जो शब्दों में ना समां पाए |

मेरा मौन उसे भी कह जाए |

नीरज 

Views: 433

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2013 at 8:25pm

आदरणीय नीरज जी सदर, सुन्दर भावपूर्ण रचना, आदरेया डॉ. प्राची जी द्वारा शिल्प साधने की सलाह देना उचित ही है, आप कई रचनाएं मंच पर प्रस्तुत कर चुके हैं सभी में भाव और प्रवाह सुन्दर है इसे सम्पूर्णता देने का वक्त है. यह मंच कोरी वाह वाह  करने वालों का मंच नहीं है इसका लाभ लें.शुभकामनाएं.

Comment by वेदिका on June 2, 2013 at 12:24am

आदरणीया प्राची जी की बात ..बार बार देखें ...ऐसा स्पष्ट ज्ञान और बोध गम्यता और कहाँ ...शुभ शुभ 

शुभकामनाये 
Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on May 28, 2013 at 5:44pm

सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए सादर बधाई स्वीकारें आ नीरज जी...

आदरणीया प्राची जी के संकेतानुरूप संशोधन पश्चात आपका गीत सचमुच और भी निखर जाएगा...

//मात्रा ज्ञान जो कभी चौपाई छंद के माध्यम से पढ़ा था उस पर गंभीर होना ही पड़ेगा//

आपकी कही यह पंक्ति निश्चित ही सुखदाई और आशा जगाने वाली है... आपको बहुत शुभकानाएं...

सादर...

Comment by Shyam Narain Verma on May 28, 2013 at 4:33pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 28, 2013 at 3:43pm

सुन्दर भावाभिव्यक्ति शेष प्राची जी ने कह ही दिया है 

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:26pm

आदरणीय कुंती जी आदरणीय प्राची जी ने मुझे जो सिखाया मैंने
कभी उसे सीखने की कोशिश नही करी बस अपनी भावनाओं पर
ना जाने कैसे तुकबंदी बिठा देता हूँ मगर लगता है इस मंच पर
आकर अब ये मात्रा ज्ञान जो कभी चौपाई छंद के
माध्यम से पढ़ा था उस पर गंभीर होना ही पड़ेगा ....................

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:13pm

आदरणीय प्राची जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by coontee mukerji on May 28, 2013 at 1:40pm

नीरज  जी , प्राची जी ने आपको जो कुछ कह दिया फिर कुछ कहने की आवश्यक्ता नहीं.......हाँ आपकी मनोभावना अच्छी लगी .

सादर

कुंती .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2013 at 11:18am

आ० नीरज जी 

अंतर्मन के सुकोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति पर हृदय से बहुत बहुत बधाई.

वैसे तो रचना गेयता में है, पर कहीं कहीं प्रवाह अवरुद्ध है...जिसे मात्रिक गणना को साध कर सहज ही सही किया जा सकता है.

इस गीत की मात्राओं को १६-१६ पर साध कर देखिये...क्या खूब निखार आता है.

उदाहरण स्वरुप देखिये ..

मायूस मेरा दिल नाच उठा ,..................................१७ मात्रा 

जब देख हमे तुम मुस्काये |..................................ऊपर की पंक्ति में मेरा..और नीचे की में हमें कुछ असहज है 

मायूस हृदय फिर नाच उठा ....................१६ मात्रा 

जब देख मुझे तुम मुस्काए...................१६ मात्रा 

या फिर इनमें देखिये 

नए रंग खिले नए फूल खिले ,............१८ मात्रा 

जीवन में जब से तुम आये |...............१६ मात्रा 

नव रंग खिले नव फूल खिले.........१६ मात्रा 

जीवन में जबसे तुम आये.............१६ मात्रा.

शुभेच्छाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
5 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service