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प्रो. विश्वम्भर शुक्ल's Blog (24)

सोने का लोटा ,नंगे बदन पर लंगोटा !

 सुना भगवानों के पास धन बहुत,

और अपने देश में निर्धन-बहुत !



मंदिरों में जमा है अकूत सोना ,

वहीँ द्वार पर भूखी भीड़,दो,ना !

 …

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Added by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 12, 2013 at 9:30pm — 8 Comments

गिरा दे बूँदें : हाइकू ~

गिरा दे बूँदें 

प्रतीक्षारत हम 

नयन मूंदे 

*

और न कस 

हर कोई बेबस 

अब बरस 

*

चली जो हवा 

उड़ गए बादल 

हम नि:शब्द 

*

मन बहका 

आवारा बादल सा 

उड़ गया लो 

*

बरसे धार 

बढे -उमड़े प्यार 

हर्ष अपार 

*

सब है वृथा 

काश, घन सुनते 

हमारी व्यथा 

*

सलोने घन 

या तो डुबो देते हैं 

या जाते डूब

*

आये बौछार 

बजें मन के…

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Added by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 11, 2013 at 2:27pm — 7 Comments

एक गीतिका ज़िदगी की

ज़िंदगी इतने दिन तूफ़ान रही,

कभी बारिश,कभी मुस्कान रही 



मिर्च थी खूब,मसाले भी बहुत

सौदा-सुलुफ की ये दुकान रही 

लोग चेहरे लगाये ,आये ,गए 

कौन रिश्ते थे बस पहचान रही 



आसमां पर निरी सलाखें थीं 

अपनी आँगन में ही उड़ान रही 

खूब ढोया है उम्र को हमने 

इसलिए दोस्त,कुछ थकान…

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Added by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 10, 2013 at 10:55pm — 12 Comments

कुछ मुक्तक

गाँव बदले हुए हैं ,शहर हो गए ,

स्वार्थ की आत्म-केंद्रित नहर हो गए,

सूर्य में थीं यहीं नेह की रश्मियाँ

रिश्ते सब गर्म अब दोपहर हो गए !

*

आओ मिलकर मोड दें पन्ने किताब के ,

और ढूँढें फूल कुछ सूखे गुलाब के ,

सकपकाई उम्र ,वो बारिश सवालों की

खूबसूरत झूठ ,वो किस्से जवाब के !

*

दर्द को खूब लिखा ,

गहरे जा डूब लिखा ,

पाँव जब जलने लगे

पथ को हरी दूब लिखा !

*

रूप की एक नदी बहती है,,

खूबसूरत ए हंसी लगती है,

फूल,घाटी…

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Added by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 9, 2013 at 10:00pm — 8 Comments

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"जय हो.. "
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"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
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"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
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"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
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"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
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"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
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