For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह's Blog – December 2010 Archive (5)

बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©

 

बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©



शुरू में गज़ल सी , फिर भटकती लय है क्यूँ जिंदगी......

हर रंग भरा इसमें तुमने , सवाल सी है क्यूँ जिंदगी.......

ज़वाब दिए खुद तुम्हीं ने , फिर अधूरी है क्यूँ जिंदगी.....

माना है डगर कठिन , कदम बहकाती है क्यूँ जिंदगी.....

मंजिल का पता नहीं पर , राह भटकाती है क्यूँ जिंदगी.....



Photography & Creation by :- जोगेन्द्र सिंह…

Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 21, 2010 at 11:30pm — 6 Comments

कैसा है यह नाते पर नाता..? Copyright ©

 

कैसा है यह नाते पर नाता..? Copyright ©



निकल कर देखा.. अपनी माँ के उदर से उसने,

अनजानी.. कुछ मिचमिचाती अपनी आँखों से,

सारा जहान था दिख रहा अजनबी सा उसको,

लग रही माँ भी उसकी.. अजनबी सी उसको,

बना फिर इक नया.. माँ से पहचान का नाता,

फिर भी अकसर.. क्यूँ लगती माँ अजनबी सी,

गोद…

Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 20, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

!! वायु प्रवाह !! ©

 

!! वायु प्रवाह !! ©

(१)

वायु प्रवाह पर विचार !

अचानक उठा खयाल !

कितने होते हैं प्रकार ?

(२)

नाना हैं वायु प्रवाह !

कह चुकी संस्कृत भी !

वायु प्रकार के भेद भी !

मुख्य हैं तीन प्रकार !

उच्च निम्न मध्यम !

सप्तम सुप्त औसत स्वर !

(३)

भीषण मार सप्तम सुर…

Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 17, 2010 at 5:30pm — 3 Comments

विराम चिह्न !! मेरे तुम्हारे नाम का ::: ©

विराम चिह्न !! मेरे तुम्हारे नाम का ::: ©



मैं जानती हूँ के साथ मिला..

कह दी मुझसे तुमने हर बात..

यत्र-तत्र-सर्वत्र करा दिया भान..

मुझ ही को मेरे होने का..



नाव पतवार के बहाने..

तो कभी..

तप्त ओस भाप-बादल के बहाने..



सूखे से जीवन में हरियाली सा..

ढाक-पत्तों…

Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 14, 2010 at 1:00am — 1 Comment

जिंदगी..©



जिंदगी..©

जाने कितने रंग दिखावे है यह जिंदगी..

बिखेरने थे उसे जो हमसे चाहे ये जिंदगी..

माया फैला फँसा हमको देती है ये जिंदगी..

इशारों पर अपने है नाचती ये जिंदगी..

ना चाहें पर अपना बोझ लदाती है जिंदगी..

अनचाहे ही हम पर गहराती है ये जिंदगी..

कैसे पायें आज़ादी हम पे हावी है ये जिंदगी..



जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (07 दिसंबर 2010)



Photography for both pictures :- Jogendra… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 7, 2010 at 11:26am — 1 Comment

Monthly Archives

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service