वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है,
कहीं है चैन-ओ-सुकून,तो कहीं मुसीबत है,
वाह ख़ुदा ! क्या तेरी कुदरत है ।
क्या था ख्याल तेरा,
बनाया किसी को गूंगा,किसी को बहरा,
बनाया तूने किसी को सबल-सुअंग,…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 28, 2019 at 12:00pm — 2 Comments
दीपावली का दिन लगभग 3:00 बजे शाम के पूजन की तैयारियां चल रही थी । माँ किचन में खीर बना रही थी,तो हमारी धर्मपत्नी जी आंगन में रंगोली डाल रही थी । मैं हॉल में बैठा हुआ व्हाट्सएप पर लोगों को दिवाली की शुभकामनाएं भेज रहा था और मेरे पिताजी,मेरे पुत्र(भैय्यू),जिसने पिछले महीने अपना तीसरा जन्म दिन मनाया था,के साथ मस्ती करने में व्यस्त थे। इस मौसम में आमतौर पर मच्छर बहुत होते हैं,इसलिए पिताजी यह भी ख़याल रख रहे थे कि भैय्यू को मच्छर न कांटें और इसके लिए उन्हें काफ़ी मसक्कत भी करनी पड़ रही थी । तभी मेरा…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 27, 2019 at 10:23pm — 5 Comments
212 212 212 212
याद उसको कभी,मेरी आती नहीं ।
और ख्वाबों से मेरे,वो जाती नहीं ।।
सो रही अब भी वो, चैन से रात भर…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 19, 2019 at 10:30pm — 3 Comments
1222 1222 1222
चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम,
अभी उन्वान रिश्ते को नया दो तुम ।
फ़ना ही हो गये जो इश्क़ कर बैठे,
ज़हर है ये,ज़हर ही तो पिला दो तुम ।
हया कायम रहे,कब तक मुहब्बत में,
ज़रा पर्दा शराफत का उठा दो तुम…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 17, 2019 at 8:44pm — 6 Comments
डटे रहो तुम अपने पथ पर,
इक दिन दुनिया ये डोलेगी ।
जल,थल और आकाश में जनता,
तेरी ही बोली बोलेगी ।।
कभी डरो ना असफलता से,
स्वाद तुम्हें जो जीत का चखना ।
व्यंग्य करें कितने ही…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 13, 2019 at 6:19pm — 1 Comment
2212 122 2212 122
थम ही नहीं रही है,रफ़्तार ज़िन्दगी में ।
हर दर्द की दवा है,बस प्यार ज़िन्दगी में ।।
बैठो न चुप दबाके, तुम राज़ सारे दिल के ।
जज़्बात का ज़रूरी,इज़हार ज़िन्दगी में ।।
माशूक़ से कलह का,यूं ग़म न कीजियेगा…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 12, 2019 at 9:00pm — 2 Comments
राहों की इन मुश्किलों से,इंसा तू न डर ।
पानी है तुझे मंजिल,हिम्मत तो ज़रा कर ।।
कि जाना है तुझे अभी,फ़लक से भी आगे ।
दुनिया ये सारी फिर,पीछे तेरे भागे ।।
छोटी-छोटी हारों से,ना खुद को दुखी कर ।
पानी है…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 10, 2019 at 10:30pm — 2 Comments
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