For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रमेश कुमार चौहान's Blog – October 2013 Archive (4)

चुनावी हाइकू

देख तमाशा

नेता मांगते भीख

लोकतंत्र है ।



जांच परख

आंखो देखी गवाह

जज हो आज ।



खोलता वह

आश्‍वासनों का बाक्स

सम्हलो जरा



कागजी फूल

चढ़ावा लाया वह

हे जन देव



मदिरा स्नान

गहरा षडयंत्र

बेसुध लोग



चुनोगे कैसे

लड़खड़ाते पांव

ड़ोलते हाथ



होश में ज्ञानी

घर बैठे अज्ञानी

निर्लिप्त भाव



जड़ भरत

देश के बुद्धिजीवी

करे संताप…



Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on October 27, 2013 at 10:30pm — 11 Comments

लोकतंत्र (विविधि छंद)

दोहा

बज रही बड़ी जोर की, चुनावी शंखनाद ।

निंद उड़े जहां उनकी , तुम दिल रख लो हाथ ।।

सोरठा

लोकतंत्र पर्व एक, उत्सव मनाओं सब मिल ।

बढ़े देश का मान, कुछ ऐसा करें हम मिल ।।

ललित

वोट का चोट करें गंभीर, अपनी शक्ति दिखाओं ।

जो करता हो देश हित काज, उनको तुम जीताओं ।।

गीतिका

देश के मतदाता सुनो, आ रहा चुनाव अभी ।

तुम करना जरूर मतदान, लोकतंत्र बचे तभी ।।

राजनेता भ्रश्ट हों जो, मुॅह बंद…

Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on October 23, 2013 at 10:36pm — 5 Comments

पहेली बूझ (चोका)

पहेली बूझ !

जगपालक कौन ?

क्यो तू मौन ।

नही सुझता कुछ ?

भूखे हो तुम ??

नही भाई नही तो

बता क्या खाये ?

तुम कहां से पाये ??

लगा अंदाज

क्या बाजार से लाये ?

जरा विचार

कैसे चले व्यापार ?

बाजार पेड़??

कौन देता अनाज ?

लगा अंदाज

हां भाई पेड़ पौधे ।

क्या जवाब है !

खुद उगते पेड़ ?

वे अन्न देते ??

पेड़ उगे भी तो हैं ?

उगे भी पेड़ !

क्या पेट भरते हैं ?

पेट पालक ??

सीधे सीधे नही तो

फिर…

Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on October 14, 2013 at 4:30pm — 5 Comments

बेटी (कुंड़ली)

बेटी सुहाती मोहे, जस हो चंदन भाल ।
पाकर बेटी तुझे मै, हो गया हूं निहाल ।।
हो गया हूं निहाल, परी सी पंख लगाऊ ।
शिक्षा व संस्कार दे, सारा गगन घूमाऊ ।
तू करना सब काम, जग में हो मेरा नाम।
दुनिया कहे ऐसा, बेटा बन गया बेटी ।।

.............................................
मौलिक अप्रकाशित

Added by रमेश कुमार चौहान on October 8, 2013 at 8:05pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
29 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service