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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – October 2019 Archive (2)

नकेलें ग़म के मैं नथुनों में डालूँ (६६)

(१२२२ १२२२ १२२ )

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नकेलें ग़म के मैं नथुनों में डालूँ

ख़ुदाया मैं भी कुछ खुशियाँ मना लूँ

**

मुझे भी तो अता कर चन्द मौक़े

ख़ुदा मैं भी तो जीवन का मज़ा लूँ

**

मुहब्बत में तिरी है जीत पक्की

भला फिर किसलिए सिक्का उछालूँ

**

हवा जब खुशबुएँ बिखरा रही है

ख़लल क्यों काम में बेकार डालूँ

**

पुराने दोस्त क्या कम हैं किसी से…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 12, 2019 at 10:30am — 5 Comments

तूफ़ान जलजलों से नहीं आसमाँ-से हम(६५ )



तूफ़ान जलजलों से नहीं आसमाँ-से हम

फ़ितरत से हैं ज़रूर कुछ अब्र-ए-रवाँ से हम

**

कितना लिए है बोझ ज़मीँ इस जहान का

मुमकिन है क्या कभी कि बनें धरती माँ-से हम

**

दिल तोड़ के वो कह रहे हैं सब्र कीजिए

सब्र-ओ-क़रार लाएँ तो लाएँ कहाँ से हम

**

ये तय नहीं कि प्यार की हासिल हों मंज़िलें

इतना है तय कि जाएँगे अब अपनी जाँ से हम

**

कुछ इस तरह से उनकी हुईं मेहरबानियाँ

खाते…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 8, 2019 at 10:30pm — 6 Comments

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