2122 1212 22/112
ख़्वाब तूने कोई बुना होगा
तब तेरा रतजगा हुआ होगा
सर यक़ीनन मेरा झुकेगा जनाब
आपसे जब भी सामना होगा
मुद्दतों बाद मेरी याद आई
मुश्किलों से कहीं घिरा होगा
मुझको मेहनत लगी थी लिखने में
उसको एहसास इसका क्या होगा
शहर में होना आरज़ी है मगर
तज़्किरा मेरा बारहा होगा
आरज़ी – थोड़े समय के लिए, तज़्किरा – जिक्र
-मौलिक व अप्रकाशित
Added by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2017 at 11:24am — 6 Comments
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