2122/ 2122/ 212
घर से बाहर तो निकल कर देखिये
ज़िन्दगी के साथ चल कर देखिये
आपको अंधा न कर दे वो चमक
शम्स को थोड़ा सँभल कर देखिये
आजमाया है मुझे ही अब तलक
इक दफा खुद को बदल कर देखिये
चार सू बस आप ही होंगे जनाब
शम्अ की मानिन्द जल कर देखिये
आसमाँ के है मुकाबिल हस्ती क्या
देखना हो तो उछल कर देखिये
तर्क़े ताल्लुक तो बहुत आसान है
कालिबे निस्बत में ढल कर…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on August 23, 2014 at 7:00pm — 17 Comments
221 2121 1221 212
जाने पड़ा हुआ है तू किसके खुमार में
दिल ही न टूट जाये कहीं ऐतबार में
मैं नाम लौहे दिल पे यूँ लिखता गया तेरा
इसके सिवा रहा नहीं कुछ इख़्तियार में
वो कारवाने वक्त गुज़र…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on August 17, 2014 at 2:00pm — 12 Comments
212/ 212/ 212/ 212
मुझको तन्हाई अक्सर बुलाती रही
बारहा पास आकर सताती रही
क्या कहूँ आँसुओं का सबब मैं तुझे
तल्खी तेरी ज़बाँ की रुलाती रही
रात भर मैं हवा के मुकाबिल खड़ा
लौ जलाता रहा वो बुझाती रही
आइना अक्स मेरा बदलता रहा
ज़िन्दगी खुद से मुझको छुपाती रही
मैं न समझा कभी सच यही था मगर
ये ख़िज़ाँ राह मेरी बनाती रही
बादबाँ खुल गये चल पड़ी नाव भी
मेरी…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on August 1, 2014 at 11:55pm — 23 Comments
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