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AMAN SINHA's Blog – July 2022 Archive (5)

एक दिन मुझ सा जी लो

एक दिन मुझ सा जी लो 

हाँ बस एक दिन मुझ सा जी लो 

जाग जाओ पाँच बजे तुम और बर्तन सारे धो लो 

पानी भरने के खातिर फिर सारे नल तुम खोलो 

कपड़,पोछा,झाड़ू करकट बस एक बार तो कर लो 

बस एक दिन मुझ सा जी लो   

नाश्ते खाने की लिस्ट बनाओ 

राशन, बाज़ार करके…

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Added by AMAN SINHA on July 23, 2022 at 11:42am — No Comments

शराब

पा लेता हूँ जहां को तेरी चौखट पर लेकिन 

तेरी एक बूंद से मेरी प्यास नहीं बुझती 

भुला सकता हूँ मैं अपना वजूद भी तेरी खातिर पर 

तुझसे एक पल की दूरी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती 

भूल जाता हूँ मैं ग़म अपने होंठो से लगाकर तुझे 

जब तक छु ना लूँ तुझे मेरी रफ्तार नहीं बढ़ती 

बड़ा सुकून मिलता है नसों मे तेरे घुलने से 

किसी भी साज़ मे ऐसी कोई बात…

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Added by AMAN SINHA on July 15, 2022 at 10:20am — No Comments

जो मैं होता

जो मैं होता गीत कोई तो तुम भी मुझको गा लेते 

जो मैं होता खामोश परिंदा तो अपना मुझे बना लेते 

जो मैं होता फूल कोई तो गजरा मुझे बना लेते 

जो मैं होता इत्र कोई तो तन पर मुझे लगा लेते

 

जो मैं होता काजल तो तुम टीका मेरा कर…

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Added by AMAN SINHA on July 11, 2022 at 1:01pm — No Comments

मैं जताना जानता तो

मैं जताना जानता तो बन बैरागी यूं ना फिरता 

मेरे ही ख़िलाफ़ ना होता आज ये उसूल मेरा 

मैं ठहरना जानता तो बन के यूं भंवरा ना फिरता 

मेरे पग को बांध लेता फिर कोई अरमान मेरा 

 

मैं बताना जानता तो दाग़ लेकर यूं ना…

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Added by AMAN SINHA on July 6, 2022 at 11:40am — No Comments

किराए का मकान

दीवारें हैं छत हैं

संगमरमर का फर्श भी

फिर भी ये मकान अपना घर नहीं लगता

चुकाता हूँ

मैं इसका दाम, हर तारीख पहली…

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Added by AMAN SINHA on July 1, 2022 at 11:30am — No Comments

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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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