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Usha Awasthi's Blog – June 2020 Archive (5)

रिमझिम - रिमझिम बदरा बरसे

रिमझिम - रिमझिम बदरा बरसे

अजहूँ न आए पिया रे..

ये बदरा कारे - कजरारे 

बार- बार आ जाएँ दुआरे

घर आँगन सब सूना पड़ा रे

सूनी सेजरिया रे

रिमझिम....

तन-मन ऐसी अगन लगाए

जो बदरा से बुझे न बुझाए )

अब तो अगन बुझे तबही जब

आएँ साँवरिया रे

रिमझिम...

छिन अँगना छिन भीतर आऊँ

दीप बुझे सौ बार जलाऊँ

पिया हमारे घर आएगें

छाई अँधियारी रे

रिमझिम .....

मौलिक…

Continue

Added by Usha Awasthi on June 30, 2020 at 9:00pm — 2 Comments

क्यों करते अह्वान ?

कितने सालों से सुनें

शान्ति - शान्ति का घोष

अपने ही भू- भाग को

खो बैठे , बेहोश

जब दुश्मन आकर खड़ा

द्वार , रास्ता रोक

क्या गुलाम बन कर रहें ?

करें न हम प्रतिरोध 

ज्ञान - नेत्र को मूँद लें

खड़ा करें अवरोध 

गीता से निज कर्म - पथ

का , कैसै हो बोध ?

ठुकराते ना सन्धि को

कौरव कर उपहास

कुरूक्षेत्र का युद्ध क्यों ?

फिर बनता इतिहास

सोलह कला प्रवीण…

Continue

Added by Usha Awasthi on June 25, 2020 at 10:30am — No Comments

खो बैठे जब होश

बड़े-बड़े देखे यहाँ

कुटिल , सोच में खोट

मर्यादा की आड़ ले

दें दूजों को चोट

ऐसे भी देखे यहाँ 

सुन्दर, सरल , स्वभाव

यदि सन्मुख हों तो बहे

सरस प्रेम रस भाव

कलियुग इसको ही कहें

चाटुकारिता भाय

तज कर अमृत का कलश

विष-घट रहा सुहाय

गिनें , गिनाएँ , फिर गिनें

नित्य पराए दोष

एक न अपने में दिखे

खो बैठे जब होश

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

Added by Usha Awasthi on June 23, 2020 at 1:00am — 6 Comments

सैनिकों का शौर्य बल

तोड़ कर अनुबन्ध अरि ने

देश पर डाली नज़र

उठा कर अब शस्त्र अपने

भून दो उसका जिगर

छल ,फरेब, असत्य ,धोखे का

करे अभिमान , खल

वह भी अब देखे हमारे

सैनिकों का शौर्य बल

शान्ति,सहआस्तित्व हो, स्थिर

बढ़े जग में अमन

वास्ते इस , धैर्य को समझा

कि हम कायर वतन

जो परायी सम्पदा को

हड़पने , रहता विकल

रौंद दो अहमन्यता 

षड़यन्त्र हो उसका विफल

शत्रु को है दण्ड देने…

Continue

Added by Usha Awasthi on June 21, 2020 at 7:00am — 4 Comments

बूँद

कहते हैं मानसून अब

देगा बहुत सुकून

कैसे सहेजेगी भला

यह बारिश की बूँद?

ताल-तलैया , झील , नद

चढ़ें , अतिक्रमण भेंट

दोहन होता प्रकृति का

अनुचित हस्तक्षेप

करें बात जो न्याय की 

वही कर रहे घात

करनी कथनी से अलग 

ज्यों हाथी के दाँत

मौलिक एवंअप्रकाशित 

Added by Usha Awasthi on June 17, 2020 at 12:43pm — 2 Comments

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