For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – May 2022 Archive (10)

याद आयेगा हमें. . . . .

याद  आयेगा हमें .....

जान  ले  लेगा   हमारी   मुस्कुराना   आपका

इस गली का हर बशर अब है दिवाना आपका

बारिशों में बाम पर वो  भीगती  अगड़ाइयाँ

आँख से जाता नहीं वो रुख छुपाना आपका

हम गली के मोड़ पर हैं आज तक ठहरे हुए

सोचते हैं हो गया गुम क्यों ठिकाना आपका

दिल लगा कर तोड़ना तासीर है ये आपकी

दूर जाने का नहीं  अच्छा  बहाना  आपका

वो गिराना खिड़कियों से पर्चियाँ इकरार की 

याद  आयेगा  हमें  सदियों जमाना …

Continue

Added by Sushil Sarna on May 29, 2022 at 1:29pm — No Comments

रोला छंद. . . . .

रोला छंद. . . .

विगत पलों की याद, हृदय  को  लगे  सुहानी।
छलक-छलक ये नैन, गाल पर लिखें कहानी ।
मौन छुअन  संवाद, देह  पर  विचरण  करते ।
सुधियों  के  सब  रंग, रिक्त अम्बर  में भरते ।
                    *=*=*=*
तड़प- तड़प  के  रात, गुजारे  प्रेम  दिवानी ।
विरहन की ये पीर, जगत ने  कब  है  जानी ।
मौसम  गुजरे   साथ, प्यार  के  गये  जमाने ।
रह - रह  आते  याद, रात  के  वो अफसाने ।

सुशील सरना / 28-5-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on May 28, 2022 at 2:23pm — No Comments

आँधियों से क्या गिला. . . . .

आँधियों से क्या गिला .....

2122  2122  2122  212

रूठ जाएँ मंजिलें  तो  रहबरों  से  क्या गिला

हो समन्दर बेवफ़ा तो कश्तियों से क्या गिला

टूट जाए घर किसी का ग़र  हवाओं  से  कहीं

वक्त ही ग़र हो बुरा तो आँधियों से क्या गिला

याद आया वो शज़र जिस पर गिरी थी बारिशें

आज भीगे हम अकेले  बारिशों से क्या  गिला

ज़ख्म  यादों के  न जाने आज क्यूँ रिसने  लगे

दर्द के हों  जलजले  तो आँसुओं से क्या…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 24, 2022 at 4:00pm — 10 Comments

सिन्दूर -(क्षणिकाएँ )

सिन्दूर  (क्षणिकाएँ ).....

सजावट की

नहीं

निभाने की चीज है

सिन्दूर

******

निभाने की नहीं

आजकल

सजावट की चीज है

सिन्दूर

******

छीन लिया है

अर्थ

सिन्दूर का

वर्तमान के

बदले परिवेश ने

******

प्रतीक है

दो साँसों के समर्पण की

अभिव्यक्ति का

सिन्दूर

******

आरम्भ है

एक विश्वास के

उदय होने का

माथे पर अलंकृत

चुटकी भर

सिन्दूर

सुशील सरना /…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 23, 2022 at 10:53am — 2 Comments

फिर किसी के वास्ते .......

फिर किसी के वास्ते ......

क्यूँ दिलाएं हम यकीं दिल को किसी  के वास्ते ।

हो गया दिल आज गमगीं फिर किसी के वास्ते ।

था बसाया घर कभी हमने किसी के ख़्वाब में ,

छोड़ दी हमने ज़मीं वो फिर किसी के वास्ते ।

मर मिटा था दिल कभी जो इक हसीं के नूर पर ,

तोड़ आए  दिल वहीं  वो फिर  किसी के वास्ते ।

दे गया महबूब मेरा  मुझ को  जीने की सज़ा ,

आज क्यूँ जाने हज़ीं है दिल किसी के वास्ते ।

वो तसव्वुर में हमारे बस गई कुछ इस तरह…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 19, 2022 at 2:12pm — 3 Comments

गज़ल - ज़ुल्फ की जंजीर से ......

गजल- ज़ुल्फ की जंजीर से ......

2122 2122 2122 212



आश्ना  होते  अगर  हम  हुस्न  की  तासीर से

दिल लगाते हम भला क्यों ज़ुल्फ़ की ज़ंजीर से

खा रहे थे लाख क़समें जो हमारे प्यार की

दे गए वो दर्द लाखों इक नज़र के तीर से

हमसफ़र बन कर चले वो रास्ते में छोड़ कर

भर गए झोली  हमारी ग़र्द  की  जागीर  से

मंज़िलों  के  पास  आ  के  दूर  मंज़िंलें हो  गई

क्या गिला शिकवा करें हम धड़कनों के पीर से

बाद मुद्दत के मिले…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 13, 2022 at 9:00pm — 8 Comments

बुझते नहीं अलाव. . . . (दोहा गज़ल )

बुझते नहीं अलाव .....(दोहा गज़ल )

मौन  प्रीत  के  हो गए, अंकित मन में  भाव ।

इन  भावों  के उम्र भर, बुझते नहीं  अलाव ।।

साँसों को मिलती नहीं, जब तक प्रीत की साँस,

रिसते   रहते  ह्रदय  में, मौन  प्रीत   के   घाव ।

आँखों   को   देती  रहीं , आँखें  ये  संदेश ,

दूर किनारा है बहुत , कागज की है नाव ।

अजब अगन है प्रीत की, अजब प्रीत की रीत ,

नैन  कोर  से  याद   के , होते   रहते   स्राव ।

ठहर गया है वक्त भी…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 11, 2022 at 11:30am — 10 Comments

दोहा मुक्तक .....

दोहा मुक्तक.....

अपने कृत्यों  से  कभी, देना  मत  संताप ।
माँ के चरणों में कटें, जन्म- जन्म के पाप ।
फर्ज निभाना दूध का , हरना हर तकलीफ -
बेटे को  आशीष  से, माँ  के  मिले  प्रताप ।
                     * * * *
भूले से करना नहीं, माता का  अपमान ।
देना उसके  त्याग  को, सेवा से सम्मान ।
मूरत है ये ईश की, ये  करुणा  की  धार -
माँ के चरणों में सदा, सुखी रहे सन्तान ।

सुशील सरना / 10-5-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on May 10, 2022 at 8:12pm — 5 Comments

मनोरम छंद में मुक्तक ....

मुक्तक

आधार छंद - मनोरम



प्यार का इजहार लेकर ।

   आस का  अंबार लेकर ।

       दे  रहा  आवाज  कोई -

          श्वास का  शृंगार  लेकर ।

           ***

प्रीत  का  संसार  देकर ।

   मौन का  आधार  देकर ।  

       छल गया  विश्वास कोई -

           स्पर्श का अंगार देकर ।

           ***

ख्वाब जो साकार  होते ।

    दर्द  क्यों  गुलज़ार होते ।

        तिश्नगी  को  जीत  लेते -

            आप का हम प्यार होते ।

सुशील…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 6, 2022 at 2:18pm — 4 Comments

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक ....

मन में मदिरा पाप की, तन व्यसनों का धाम ।

मानव का चोला करे, मानव को बदनाम ।।

छोड़ो भी अब रूठना, छोड़ो भी तकरार ।

देखे थे जो आपके , स्वप्न करो साकार ।।

लुप्त हुई संवेदना , मिटा खून का प्यार ।

रिश्तों में गुंजित हुई , बंटवारे की रार ।।

दिख जाएगी देख तू , तुझको  अपनी भूल ।

मन के दर्पण से हटा , जमी स्वार्थ की धूल ।।

भेद बढ़ाती प्यार में, बेमतलब की रार ।

खो न दें कहीं रार में, जीवन का…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 3, 2022 at 11:58am — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service