For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"'s Blog – May 2016 Archive (5)

पूछता है आइना-ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

खो गया है अक्स असली ढूँढता है आईना।

होंठ पर मुस्कान नकली देखता है आईना।।

.

इक कहानी है लिखी जो रूप के इस पृष्ठ पर।

किसका हस्ताक्षर जटिल है पूछता है आईना।।

.

हाथ की सारी लकीरें जल गयीं तन्दूर में।

क्या पढ़ें किस्मत का लेखा सोचता है आईना।।

.

बालपन से ढ़ो रहा वो ईंट सर पर पूज्यवर।

भूख से संघर्ष का कल बाँचता है आईना।।

.

मर रहा था अस्थि का ढाँचा जिलानें के लिये।

बिक गयी माता…

Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 30, 2016 at 11:30pm — 8 Comments

कोई छेड़े न ग़र बेहतर- ग़ज़ल

बहुत बेचैन हूँ इस पल

कोई छेड़े न गर, बेहतर।

उठा भूकम्प है मन में

सभाले तो कोई ये घर।।



चली है आरी-ए-मतलब

नहीं बाक़ी शज़र कोई।

हुआ पूरा शहर नंगा

ये दिल तो हो गया बंज़र।।



कहाँ तुमको खिलाऊँगा

न वो पनघट न पानी है।।

लहर नफ़रत की बहती है,

बहुत ही ख़ार है अंदर।।



अभी तो नींद टूटी है

अभी दुनिया से मिलना है।

मिलाकर आँख कहना है

ज़रा दिखलाओ अपने "पर"।।



डरायेगा कोई मुझको

अतल गहराइयों से क्या?

बताया जाये… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 12, 2016 at 9:53am — 6 Comments

सावन की तैयारी है-ग़ज़ल

22-22-22-22-----22-22-22-2



प्रीत रीत हम निभा न पाये, खूब हुई गद्दारी है।

ग़म का ताप चढ़ा है मन पर, सावन की तैयारी है।।



इस गुलशन में स्वप्न पुष्प के, बाग़ लगाना अपनी ख़ता।

खारे जल से इसका सिंचन, करना तो लाचारी है।।



चिटख गया है शीशा-ए-दिल,चुभता है, हर धड़कन पर।

साँसें थामे रखना मुश्किल, जीना इक दुश्वारी है।।



उसे बेवफ़ा बोलूँ महफ़िल, में ये कैसे है सम्भव।

जिसे पूजता रहा उसे बदनाम करूँ, मक्कारी है।।



जब भी हाथ दुआ में उट्ठें, सिर्फ… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 10, 2016 at 10:30pm — 3 Comments

तलाशी ले रहा है आइना, पर मैं लजाता हूँ- ग़ज़ल(इस्लाह के लिए)---संशोधित

1222 1222 1222 1222

तलाशी ले रहा है आईना, पर मैं लजाता हूँ।

लगे हैं दाग जो अंदर, मेरे उनको छिपाता हूँ।।



चढ़ा कर रंग रोगन का, कवर मैं खुद के चेहरे पर।

हूँ मैं भी खूबरू बस, ऐसा दुनिया को दिखाता हूँ।।



मग़र मालूम है मुझको, हक़ीक़त क्या है अन्तस की।

महज़ मैं मोह औ मद के लिए, महफ़िल सजाता हूँ

।।



यही सच है छिपाना व्यर्थ है सब जानता है "मन"

की मैं दौलत की ख़ातिर ही, तो बस जीवन गँवाता हूँ।।



इसे सुंदर बनाने को, हाँ अंदर घर सजाने… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 10, 2016 at 10:00am — 4 Comments

यदि ये बर्फ़ पिघलती है-ग़ज़ल

22 22 22 22 22 22 22 2



राजनीति से जिन लोगों की, रोज़ी रोटी चलती है।

सच का करें विरोध अगर वो, तो उनकी क्या गलती है।।

किन्तु लेखनी वाले लोगों, से मेरा बस प्रश्न यही।

उनकी नैतिकता क्यों झूठे रंगों में हाँ ढ़लती है।।

वर्ग विभाजन लोकतंत्र में तो बस सत्ता की कुंजी।

किन्तु नीति यह सृजन क्षेत्र में आख़िर काहें मिलती है।।

यद्यपि आज़ादी से लेकर तुझसे नेता कई लड़े।

फिर भी अरे गरीबी तेरी चूल न काहें हिलती है।।

सोचो नफ़रत…

Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 4, 2016 at 11:51pm — 9 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service