नियम : ३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में .
प्रणय पवन बह, रस मन बरसत
बढ़त लहर जस, तन मन गद गद
चमक दमक बस, चलत नगर घर
पग पग हर पल, रहत मदन मद
मन भ्रमर चलत, उड़त गगन तक
इत उत भटकत, उठत बहत रह
प्रणय ललक वश, बहकत सम्हरत
चरफर महकत, चटक मटक रह
- बृजेश नीरज
Added by बृजेश नीरज on April 26, 2013 at 10:25am — 10 Comments
बस आस तुम्हारी बाकी है
इस आंख में आंसू बाकी है
जब जब झरनों सी तरूणाई
आ आकर फिर लौटी है
तुम बन करके शीत चुभन
याद तुम्हारी लौटी है
मीत मिले दिन…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on April 23, 2013 at 5:14pm — 19 Comments
तोहरे दुआरे मात, खड़े दोउ कर जोरे,
अब तो आप आइके, दरस दिखाइए |
तोहरी शरण आया, तेरा ये कपूत मात,
सेवक को मां अपनी, शरण लगाइए |
इक आस तोरी मात, दूजा को सहाई मोर,
अइसे न आप मोरी, सुधि बिसराइए |…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on April 17, 2013 at 10:30pm — 14 Comments
हर तरफ खौफनाक सन्नाटा
कहीं कोई आवाज नहीं
हालांकि दर्द हदों को छू गया।
जिंदगी
दरकने लगी है
तप रही है जमीन,
पानी की बूंद
गायब हो जाती…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on April 13, 2013 at 6:00pm — 26 Comments
Added by बृजेश नीरज on April 9, 2013 at 6:59pm — 12 Comments
2122, 2122, 2122, 2
भूख से बिल्ली परेशां जो रही होगी
रोटियां बासी तभी तो खा गयी होगी
हौसले परिंदों के भी तो पस्त होते हैं
लाख उड़ने की कला उनमें रही होगी
कोयलों की कूक गायब…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on April 5, 2013 at 6:20pm — 10 Comments
कुम्हार सो गया
थक गया होगा शायद
मिट़टी रौंदी जा रही है
रंग बदल गया
स्याह पड़ गयी
चाक घूम रहा है
समय चक्र की तरह…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on April 1, 2013 at 5:17pm — 26 Comments
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