For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर तरफ खौफनाक सन्नाटा

कहीं कोई आवाज नहीं

हालांकि दर्द हदों को छू गया।

 

जिंदगी

दरकने लगी है

तप रही है जमीन,

पानी की बूंद

गायब हो जाती है

गिरते ही;

सिर झुकाए लेटी

भूरी घास की आंख में

प्यास छलकती है।

 

ओठों पर जमी

पपड़ियां रोकती हैं

शब्दों को बढ़ने से

हवा घूम फिर कर

लौट आती है वहीं

जर्जर किवाड़

हिलता है बस।

 

छप्पर के नीचे

सिर झुकाए बैठा

कुत्ता

रखवाली कर रहा है

जरूरतों की।

 

भूख

अहसास बन

पूरे मन पर छा गयी;

चूल्हों ने बंद कर दिया

शिकायत करना।

 

शरीर में जगह जगह

उभर आई हैं दरारें

जिन्हें चीथड़ों से भरने की कोशिश

नाकाम होने लगी हैं।

 

आंख में कोई सपना तो नहीं

लेकिन देखती हैं उस तरफ

जो सड़क संसद को जाती है

वह सड़क बंद है।

               - बृजेश नीरज

 

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on May 2, 2013 at 8:17pm

आदरणीया कल्पना जी आपका हार्दिक आभार! आपको रचना पसंद आयी मेरा लिखना सार्थक हुआ।

Comment by कल्पना रामानी on May 2, 2013 at 6:37pm

एक एक शब्द व्यथा में डूबा हुआ, बेक़सूरों की बेबसी की मार्मिक कथा,...बृजेश जी, इस सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई... 

Comment by बृजेश नीरज on April 26, 2013 at 6:38am

आदरणीय सौरभ जी यह सब आप जैसे प्रबुद्ध लोगों के मार्गदर्शन और ओबीओ की शिक्षा का परिणाम है कि मेरी कलम कुछ लिखने लगी है।
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 26, 2013 at 1:29am

देर से आना न सुहाया मुझे ही, भाई.

लेकिन मेरी विवशता मुझी पर निर्दयी अंकुश रखे दीख रही है. विलम्ब से आने का हार्दिक खेद है उससे ऊपर इस रचना को अबतक न पढ़ पाने का अफ़सोस. आपकी शाब्दिकता क्या प्रखर हुई है, कि वाह !

शब्द चित्र का सुन्दर कैनवास तैयार किया फिर क्लांत भावनाओं को अनुरूप शब्द दे दिये.

आपकी मानसिक प्रबुद्धता को मेरा हार्दिक अभिनन्दन, बृजेशभाई.. .

Comment by बृजेश नीरज on April 16, 2013 at 5:58pm

आदरणीय राजेश जी आपका आभार!

Comment by राजेश 'मृदु' on April 16, 2013 at 5:36pm

इस बेहतरीन रचना पर ढेरों बधाई, सादर

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 6:59pm

आदरणीय लक्ष्मण जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 6:58pm

प्रदीप सर जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 6:55pm

आदरणीया प्राची बहन आपका आभार! आपको रचना पसन्द आयी मेरा लेखन सार्थक हुआ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 10:05pm

बहुत ही करूँ द्रश्य उपस्थित किया है रचना द्वारा, भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री बृजेश कुमार सिंह जी, बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार संज्ञान लेने के लिए आपका सादर"
5 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
10 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
10 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
37 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service