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Jyotsna Kapil's Blog – April 2015 Archive (2)

बदलते चेहरे (लघुकथा)

दानशीलता , सज्जनता और खुली सोच के कारण लाला गजेन्द्र प्रसाद का हर कोई कायल था । चुनाव में वे दमदार प्रत्याशी होकर जब बस्ती में गये तो गरीबों की दशा देख रो पडे । स्त्री सम्मान और गरीबों के प्रति बेहद संवेदनशील भाषण भी दिया । अपने ऑफिस से निकले तो ड्राइवर को नदारद देख उनका पारा चढ़ गया।उसके आते ही एक तमाचा उसके गाल पर दिया और बिना कारण जाने सप्ताह भर की तनख्वाह काट लेने का आदेश भी। उनकेे कार्यकलाप के ब्यौरे के लिए पीछा कर रही संवाददाता छाया उनके ये बदलते रूप देखकर चौंक गई।पर कुछ सोच समझ पाती…

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Added by jyotsna Kapil on April 25, 2015 at 8:00am — 4 Comments

चार दिन की चांदनी (लघुकथा)

श्रेया अपने से बड़ी उम्र के,अत्यंत आकर्षक एवं विवाहित बॉस रजत के प्रेम में पड़कर ज़माने को भूल बैठी। माँ व भाई ने कितना समझाया, विवाह के लिए,पर वह तो कुछ सुनने को तैयार ही न थी। अलग फ्लैट लेकर रहती थी,जहाँ सुविधा के अनुसार रजत आकर उसके साथ वक़्त बिताते थे।



उस दिन वह ज्वर से तप रही थी। रजत को पता लगा तो तुरंत भागे चले आये।श्रेया को उनका साथ बहुत अच्छा लग रहा था।

तभी मोबाइल बज उठा । उन्होंने दूसरी ओर से जो कहा गया सुना,

फिर उठते हुए कहा - "सॉरी श्रेया-आज तुम्हारे पास नहीं रुक…

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Added by jyotsna Kapil on April 25, 2015 at 8:00am — 5 Comments

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"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
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