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Rajkumarahuja's Blog – April 2015 Archive (6)

कब्र में आज कुछ नमीं सी है !

कब्र में आज कुछ नमीं सी है,

शबे-माह कौन यहाँ आया है !

कहाँ हैं वो ..जिनके अश्कों नें,

अज़ल को ......ख्व़ाब से जगाया है !!

दूर वीरानें में .....दरख्तों पर ,

ये किसने चाँद को लटकाया है !

उम्र बस यूँ हि.....गुज़र जायेगी,

वक़्त बीता ...कब लौट के आया है !!

चले थे साथ ...मगर चल न सके,

एहसासात ........बेनवा निकले ! 

दर्द की दर्ज़ को भी सी न  सके,

रफूगर ही ......बेवफ़ा निकले !!

ता उम्र मिला न…

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Added by rajkumarahuja on April 24, 2015 at 3:30pm — 2 Comments

"कलवाली"...एक लघु कथा .

 एक दिन महानगर के किसी बस स्टाप के पास खड़ी, एक सुन्दर युवती के पास एक कार आकर रुकती है ! कार का दरवाज़ा  खुलता है और अन्दर बैठे दो युवकों में से एक,उतर कर लड़की के पास आता है ! दोनों में कुछ बातें होतीं है, और लड़की गाड़ी में सवार हो जाती है !

 दूसरे दिन महानगर के किसी बस स्टाप के पास खड़ी, एक सुन्दर सी युवती के पास वही कार आकर रुकती है ! कार का दरवाज़ा खुलता है और अन्दर बैठे दो युवकों में से एक, उतर कर लड़की के पास आता है ! दोनों…

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Added by rajkumarahuja on April 18, 2015 at 2:00pm — No Comments

आवारा ( लघु-कथा )

पापा आवारा किसे कहते हैं  ? चार साल के बिट्टू के इस प्रश्न पर मैं थोडा चौंका , फिर गोद में लेकर प्यार से उसके सर पर हाथ फेर कर बोला, बेटा आवारा उसे कहते हैं जिसका कोई नहीं होता, जो व्यर्थ गली-गली घूमता है ! ...तो ..पापा  क्या दादा जी का कोई नहीं है... ? जो मम्मी रोज कहती है ....इस उम्र में भी भटकता रहता है आवारा जैसा ....शाम को भोजन के वक्त घर याद आता है ..............  

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

राजू आहूजा 

Added by rajkumarahuja on April 16, 2015 at 12:30am — 10 Comments

शोहरत

पल में शोहरत गर पानी है,बात अनर्गल बोलो तुम !

ताजमहल से शिव-मंदिर के कारिडोर को खोलो तुम !!

धर्म का सारा सोया सिस्टम,यूँ पल में जग जाएगा !

हर पेपर-हर चैनल में तेरा बयान ही आयेगा !!

खुली-बहस होगी तब सब जन अपना पक्ष सुनायेंगें !

कोई यमन औ जयवंती कुछ राग भैरवी गाएंगें !!

संसद की चौपाल पे फिर तेरा बयान छा जाएगा !

खो जायेंगें मुद्दे सारे - ताजमहल लहराएगा !!

मुद्दे की गर बात कही तो, खुद को हाशिये पर पाओगे !

दो कौड़ी की…

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Added by rajkumarahuja on April 11, 2015 at 4:00pm — 4 Comments

आचरण

अर्चक, 

अर्चना करता है !

अर्धांगिनी से,

अराग होकर !

अल्लाह,

दे दे अवकाश मुझे,

इस अवदशा से !

अवर्ण्य हैं,

इनके…

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Added by rajkumarahuja on April 10, 2015 at 6:30pm — 7 Comments

आधुनिकता

अपनी मांसल देह का, करे प्रदर्शन नार !

कम कपड़ों में घूम रही, देखो बीच बजार !!

आधुनिकता के नाम पर, देखो ये करतूत !

वस्त्र हैं इसने तज दिए, बस चिंदी संग- सूत !!

लिव-इन-रिलेशन में रहे, देखो नारी आज !

कथा के पचड़े कौन पड़े, जब यों-ही मिले परसाद !!

यों-ही मिले परसाद, रिलेशन महिमां गाओ !

इक से मन भर जाए, तो झट दूजा ले आओ !!

स्वतंत्रता की होड़ में,विवेक गया है छूट !

नारी खुद है लुट रही,औ पुरुष रहा है लूट !!

आज नए इस…

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Added by rajkumarahuja on April 9, 2015 at 11:30am — 14 Comments

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