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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Blog – April 2021 Archive (3)

कोरोना को हराना है।

हमने तो अब  ये ठाना है

कोरोना   को   हराना  है

अब  साथ  न  छूटेगा  ये 

वादा   हमें   निभाना   है

कोरोना   को   हराना  है... कोरोना को हराना है। 

जाना  हो   जब   ज़रूरी 

सबसे  दो  गज़  की  दूरी  

कर   हाथ    सेनिटाइज़्ड 

और मास्क भी लगाना है 

कोरोना   को    हराना  है... कोरोना को हराना है। 

बाहर  से  जब भी आओ

अच्छी     तरह    नहाओ

ज्वर, छींक हो या  खाँसी

डाॅक्टर को ही दिखाना है 

कोरोना   को   …

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Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on April 12, 2021 at 7:02pm — 6 Comments

ग़ज़ल (किसी की याद में...)

1212 - 1122 - 1212 - (112 / 22) 

किसी की याद में ख़ुद को भुला के देखते हैं

निशान ज़ख्मों  के हम  मुस्कुरा के देखते हैं 

 

निकल तो आए हैं तूफ़ाँ की ज़द से दूर बहुत 

भँवर हैं कितने ही  जो सर उठा के देखते हैं 

चले भी आओ कि अब  इंतज़ार  होता नहीं 

कि अब ये रस्ते हमें  मुँह चिढ़ा के  देखते हैं  

ये ज़िन्दगी भी फ़ना कर दी हमने जिनके लिए 

वही  तो  हैं  जो   हमें  आज़मा के  देखते  हैं 

 

तेरी जफ़ा …

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Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on April 3, 2021 at 6:11pm — 18 Comments

कोशिश करो ! आगे बढ़ो...

कोशिश करो   हिम्मत करो 

आगे    बढ़ो    बढ़ते    रहो   आगे बढ़ो... आगे बढ़ो... 

गिरने  के  डर  से मत रुको 

गिर जाओ तो फिर से उठो   आगे बढ़ो... आगे बढ़ो... 

मंज़िल तुम्हें  मिल  जाएगी

क़िस्मत भी ये खुल जाएगी  

मंज़िल के मिलने तक चलो

चलते    रहो    चलते   रहो   आगे बढ़ो... आगे बढ़ो... 

रुकने से कुछ हासिल नहीं

रुक जाए जो कामिल नहीं   

उठते  क़दम  पीछे  न  लो 

पूरा   करो   जो …

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Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on April 1, 2021 at 8:26am — 2 Comments

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