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AMAN SINHA's Blog – March 2024 Archive (4)

यह धर्म युद्ध है

रण भूमी में अस्त्र को त्यागे अर्जुन निःस्तब्ध सा खडा हुआ 

बेसुध सा निःसहाय सा केशव के चरणों मे पडा हुआ 

कहता था ना लड पायेगा, वार एक ना कर पायेगा 

शत्रु का है भेष भले पर वो अपना है जो अडा हुआ 

कैसे मैं उनपर प्रहार करूँ, जिनका मैं इतना सम्मान…

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Added by AMAN SINHA on March 23, 2024 at 5:57am — 1 Comment

काश कहीं ऐसा हो जाता

काश कहीं ऐसा हो जाता, 

मैं जगता तू सो जाता 

मेरी हंसी तुझे मिल जाती 

तेरे बदले मैं रो लेता 

काश कहीं ऐसा हो जाता 

तू चलता मैं थक जाता 

पैर तेरे कभी ना रुकते…

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Added by AMAN SINHA on March 19, 2024 at 6:02am — 1 Comment

आँख मिचौली

आ जा खेले आँख मिचौली, तू मेरा मैं तेरी हमजोली 

बंद करूँ मैं आँखों को तू जाकर कहीं छूप जाए 

पर देख मुझे तू सतना ना दूर कहीं छिप जाना ना 

ऐसा न हो तू पुकारे मुझे, मैं दूर कहीं खो जाऊं 

मैं आऊँ मैं आऊँ…

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Added by AMAN SINHA on March 16, 2024 at 6:16am — No Comments

मेरे नाम की पाति

आज गाँव से पाति आई,

माँ के चरणों की मिट्टी लायी

वैसे तो ये बस धूल है लेकिन,

इसमे अपनों की महक समाई

पाति में सबके हिस्से है,

सबके अपने-अपने किस्से है

कहीं प्रेम है, कहीं…

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Added by AMAN SINHA on March 8, 2024 at 11:09pm — No Comments

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"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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