For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – March 2019 Archive (7)

मिलती अवाम को ख़ुशी की जलपरी नहीं  (४०)

(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )

.

मिलती अवाम को ख़ुशी की जलपरी नहीं 

रुख़्सत अगर वतन से हुई भुखमरी नहीं 

**

उल्फ़त जनाब होती नहीं है रियाज़ियात 

चलती है इश्क़ में कोई दानिशवरी * नहीं


**

उम्र-ए-ख़िज़ाँ में आप जतन कुछ भी कीजिये 

नक्श-ओ-निग़ार-ए-रुख़ की कोई इस्तरी नहीं 

**

बरसों से काटती है ग़रीबी में रोज़-ओ-शब

कैसी अवाम है कहे खोटी खरी नहीं

**

घर में न…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 26, 2019 at 11:00pm — 4 Comments

रंग-ए-रुख़सार निखरने का सबब क्या आखिर(३९ )

रंग-ए-रुख़सार निखरने का सबब क्या आखिर
आज फिर सजने सँवरने का सबब क्या आखिर
***
आइना बोल उठा अब्र कहाँ बरसेंगे
काकुल-ए-पेचाँ बिखरने का सबब क्या…
Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 23, 2019 at 7:00pm — 6 Comments

सरदार लाज़मी हो असरदार तो जनाब (३८ )

++ग़ज़ल ++(221 2121 1221 212 /2121 ) 

सरदार लाज़मी हो असरदार तो जनाब 

जो चुन सके अवाम के कुछ ख़ार तो जनाब 

****

ऐसा भी क्या शजर जिसे फूलों से सिर्फ़ इश्क़ 

कोई हो शाख शाख-ए-समरदार* तो जनाब (*फल से लदी डाली )

***

होगा नसीब में कि न हो बात और है 

ता-ज़ीस्त रहती प्यार की दरकार तो जनाब 

***

जज़्बात बर्ग-ए-गुल* से ही होते हैं क़ल्ब…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 20, 2019 at 10:51pm — 2 Comments

उम्र भर जो भी ग़रीबी के निशाँ देखेगा (३६)

उम्र भर जो भी ग़रीबी के निशाँ देखेगा 

कैसे मुमकिन है वो बाँहों में जहाँ देखेगा 

** 

कितना बारूद भरा होगा बताना मुश्किल 

लफ्ज़ से कोई निकलता जो धुआँ देखेगा 

**

दिल की रानाई का अंदाज़ा लगाए कैसे 

जो फ़क़त हुस्न कि फिर शोला-रुख़ाँ* देखेगा 

**

दर्द महसूस भला ग़म का उसे हो क्यों कर 

ज़िंदगी…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 8, 2019 at 1:00am — 1 Comment

मिला न जो हिज़्र इश्क़ में तो कहाँ मुक़म्मल हुई मुहब्बत (३५)

मिला न जो हिज़्र इश्क़ में तो कहाँ मुक़म्मल हुई मुहब्बत 

डरे फ़िराक़-ओ-ग़मों से उसको न इश्क़ फरमाने की ज़रूरत 

**

सफ़र मुहब्बत की मंजिलों का हुज़ूर होता कभी न आसाँ 

यहाँ न साहिल का कुछ पता है न तय सफ़र की है कोई मुद्दत

**

न जाने कितने हैं इम्तिहाँ और क़दम क़दम पर बिछे हैं कांटे 

रह-ए-मुहब्बत पे है जो चलना तो दिल में रक्खें ज़रा सी हिम्मत 

**

रक़ीब गर मिल गया कोई तो बढ़ेंगी…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 5, 2019 at 10:30am — 4 Comments

खिजाँ ने गुलशनों में दर्द यूँ बिखेरे हैं (३४ )

खिजाँ ने गुलशनों में दर्द यूँ बिखेरे हैं 

चमन के बागबाँ के बच्चे आज भूखे हैं 

**

बहार तुझ पे है दारोमदार अब सारा 

कि फूल कितने चमन में ख़ुशी के खिलते हैं 

**

अजीब शय है तरक़्क़ी भी लोग जिस के लिए 

ज़मीर बेच के ईमान बेच देते हैं 

**

क़ुबूल कर ली खुदा ने हर इक दुआ जब भी 

दुआ में ग़ैर की खातिर ये हाथ उट्ठे…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 3, 2019 at 7:30pm — 4 Comments

मुख़्तलिफ़ हमने यहाँ सोच के पहलू देखे (३३ )



मुख़्तलिफ़ हमने यहाँ सोच के पहलू देखे

अक़्ल हैरान है,ऐसे मियाँ जादू देखे

**

आदमी शह्र में हैरान परेशाँ देखा

जब कि जंगल में बिना ख़ौफ़ के आहू देखे

**

जब अमावस को गया चाँद मनाने छुट्टी

नूर फ़ैलाने को बेताब से जुगनू देखे

**

दिल में इंसान के अल्लाह नदारद देखा

और हैवान बने आज के साधू देखे

**

प्यार अहसास है,महसूस किया जाता है

कैसे मुमकिन है कोई चश्म से ख़ुशबू देखे

**

रोटियाँ थोक में मिलती हैं…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 1, 2019 at 7:00pm — 4 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2020

2019

2018

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
19 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service