1222- 1222- 1222
मुसीबत साथ आई हमसफर की तरह
लगे है धूप भी अब राहबर की तरह
सहे जाता हूँ मौसम की अज़ीयत मैं अज़ीयत =यातना
बियाबाँ मे किसी उजड़े शजर की तरह
झुलसने लगता है मन सुब्ह उठते ही
हुये दिन गर्मियों की दोपहर की तरह
घुटन होने लगी है इन हवाओं मे
जहाँ लगने लगा है बन्द घर की तरह
हिसारे ग़म से बाहर लाये कोई तो हिसारे ग़म= ग़म का घेरा
मुसल्सल…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 31, 2014 at 8:08am — 29 Comments
2122- 2122- 2122
दिल से निकले वो तराना चाहता हूँ
इक मसर्रत का फसाना चाहता हूँ (मसर्रत =खुशी)
देख कर मुझको छलक जायें न आँसू
तेरी खातिर मुस्कुराना चाहता हूँ
जी लिया मैंने बहुत बचते हुये अब
मुश्किलों को आजमाना चाहता हूँ
बेझिझक मै पत्थरों के शह्र जाके
उनको आईना दिखाना चाहता हूँ
सुब्ह की चुभती हुई इस धूप को मैं
अपनी आँखों से हटाना चाहता हूँ
हर…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 21, 2014 at 6:30pm — 28 Comments
2122- 2122- 212
जब से तेरी जुस्तजू होने लगी (जुस्तजू=तलाश)
अजनबी सी मुझसे तू होने लगी
वक्त का होने लगा है वो असर
अब महक फूलों की बू होने लगी
भागता था जिस बला से दूर मैं
हर तरफ वो रू-ब-रू होने लगी
मुस्तकिल ये ज़िन्दगी होती नहीं (मुस्तकिल= स्थाई)
क्यूँ इसी की आरज़ू होने लगी
उम्र के फटने लगे हैं अब लिबास
सो दवाओं से रफ़ू होने लगी
नफरतें ही…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 17, 2014 at 7:58am — 16 Comments
2122/ 2122/ 2122/ 212
कातिलों के शह्र में अहले जिगर आते नहीं
भीड़ से होकर परे चहरे नज़र आते नहीं
मेरे चारों ओर किस्मत ने बना दी बाड़ सी
हाल ये है अब परिन्दे तक इधर आते नहीं
वक्त सा होने लगा है दोस्तों का अब मिजाज़
गर चले जायें तो वापस लौटकर आते नहीं
ज़ीस्त के कुछ रास्तों पे तन्हा चलना ठीक है
क्यूँकि अक्सर साथ अपने राहबर आते नहीं
नक्शे-माज़ी देखने को आते तो हैं रोज़-रोज़
खण्डहर…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 10, 2014 at 9:00am — 30 Comments
तेलंगाना पे भिड़े, अपनी मुट्ठी तान।
अपने भारत देश की, लगी दाँव पे आन।।
कोई तोड़े काँच को, पत्र लिया जो छीन।
आगे पीछे भैंस के, बजा रहे हैं बीन।।
मिर्चें लेकर हाथ में, करे आँख में वार।
मानवता इस हाल पे, अश्रु बहाये चार।।
हिस्सा जाता देख कर, हुये क्रोध से लाल।
बरसीं गंदी गालियाँ, ये संसद का हाल।।
चढ़ा करेला नीम पर, अपनी छाती ठोक।
शक्ति संग सत्ता मिली, रोक सके तो रोक।।
(मौलिक व…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 5, 2014 at 8:00am — 20 Comments
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