For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – March 2015 Archive (4)

रघुनाथ ..ग़ज़ल 2122—1122—1122—22

2122—1122—1122—22

रूठ मत जाना कभी दीन दयाला मुझसे

रखना रघुनाथ हमेशा यही नाता मुझसे

 

हर मनोरथ हुआ है सिद्ध कृपा से तेरी

तू न होता तो हर इक काम बिगड़ता मुझसे

 

नाव तुमने लगा दी पार वगरना रघुवर

इस भँवर में था बड़ी दूर किनारा मुझसे

 

जैसे शबरी से अहिल्या से निभाया राघव

भक्तवत्सल सदा यूँ प्रेम निभाना मुझसे

 

एक विश्वास तुम्हारा है मुझे रघुनंदन

दूर जाना न कोई करके बहाना मुझसे

 

जानकी नाथ…

Continue

Added by khursheed khairadi on March 28, 2015 at 11:16pm — 9 Comments

उदारता....(लघुकथा)

“ माँ! तुम्हे भैया के फ्लेट से आये हुए, यहाँ मेरे पास दो महीने हो गये है. उनका फ्लेट काफी बड़ा भी है, कुछ महीने वहाँ रह आओ. आखिर! उन्हें आपकी कमी भी तो महसूस होती होगी “  

अचानक अपने कमरे में से निकलकर छोटे बेटे के इन उदारता भरे शब्दों को सुनकर, माँ को दो माह पहले बड़े बेटे की उदारता याद आ गई. आँखों में नमी लेकर अपने कपड़ो का बेग जमाते हुये उसे मन में दोनों बेटों के फ्लेट,  अपनी कोख से बहुत  ही छोटे लग रहे थे..

 

 जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)      

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on March 27, 2015 at 10:52am — 42 Comments

औलाद - लघुकथा

"देख बड़ी बहू तूने छोटी बहू को लेकर डाॅक्टरो के बहुत चक्कर लगा लिये, इससे कुछ नही होगा?" हस्पताल से देवरानी का चेकअप कराकर रमा घर लौटी ही थी कि सासु माँ शुरू हो गयी। "अब तो स्वामी जी की दया हो तो ही छोटी की गोद में किलकारी गूँजेगी।" सासु माँ का बोलना जारी था।

"कल ही स्वामीजी से बात करके ले जाऊँगी इसे उनके आश्रम में 'सप्त रात्रि' की पूजा के लिये।"

"बड़ी बहू अगर तू भी पूजा छोड़ बीच में नही भाग आयी होती तो उन के आर्शीवाद से आज तेरी गोद भी...........।

"बस कीजिये माँजी।" रमा पुरानी… Continue

Added by VIRENDER VEER MEHTA on March 24, 2015 at 9:56pm — 25 Comments

सुखदा सदा सरस्वती (वृत्यानुप्रास /छेकानुप्रास)

(यहाँ प्रति दोहे में वृत्यानुप्रास है किन्तु सम्पुर्ण रचना में छेकानुप्रास है  अंतर यह है की वृत्यानुप्रास में एक ही वर्ण की पुनरावृत्ति होती है जबकि छेका में अनेक वर्णों  की )

 

गा-गाकर गौरव गिरा गरिमामय गन्धर्व

गीर्वाण गुरु, गीतिमय , गान-ज्ञान गुण गर्व I

 भक्त भगवती भारती भूरि भावमय भव्य

भावशवलता, भ्रान्तिता भ्रमित भनिति भवितव्य I 

 

वीणापाणि वरानना  वरे विदुष विद्वान

वाणी-वाणी वत्सला  वर्ण-वर्ण वरदान I

 

शुभ्र…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 24, 2015 at 11:00am — 31 Comments

Featured Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service