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Sushil Sarna's Blog – February 2022 Archive (4)

कुछ चुटकियाँ. . . .

कुछ चुटकियाँ ....

वो चाय क्या

जिसमें भाप न हो

वो नींद क्या

जिसमें ख्वाब न हो

.............      

वो प्याला क्या

जिसमें शराब न हो

वो हिजाब क्या

जिसमें शबाब न हो

.......... ..........

वो किताब क्या

जिसमें गुलाब न हो

वो ख़्वाब क्या

जिसमें माहताब न हो

.....................

वो समर्पण क्या

जिसमें स्वीकार न हो

वो जीत क्या

जिसमें हार न हो

.........................

वो…

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Added by Sushil Sarna on February 28, 2022 at 1:43pm — No Comments

शोख दोहे .....

शोख़ दोहे : 

कातिल हसीन शोखियाँ, मयखाने सा नूर ।

दिल बहके तो जानिए, सब आपका कुसूर ।।

साँसें दे हर साँस को, साँसों का उपहार ।

साँसों को अच्छा लगे, ये साँसों का प्यार ।।

पागल दिल की हसरतें, पागल दिल के ख़्वाब ।

पागल दिल को कर गए , ख़्वाबों के सैलाब ।।

बड़े तीव्र हैं प्यास के, अधरों पर अंगार  ।

नैनों से नैना करें, मधुर मिलन मनुहार ।।

बेहिज़ाब अगड़ाइयाँ, गज़ब नशीला नूर ।

देख बहकना नूर को, दिल का है…

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Added by Sushil Sarna on February 26, 2022 at 3:53pm — 2 Comments

प्रेम दिवस ......

प्रेम दिवस :

दिलवालों का आ गया, दिलवाला त्योहार ।

दिल ले कर दिल ढूँढता, दिल अपना  दिलदार ।।

लाल दिलों का लग रहा, गली-गली बाजार ।

अब तो दिल का आजकल, होता है व्यापार ।।

प्रेम प्रदर्शन का बना, मुक्त मिलन आधार ।

कैसा यह त्योहार जो, लील रहा संस्कार ।।

कितनी उत्सुक लग रही, युवा सभ्यता आज ।

अवगुंठन में प्यार के, करें कलंकित लाज ।।

वेलेंटाइन की आढ़ में, लज्जित होती लाज ।

देख प्रेम की दुर्दशा, क्षुब्ध आज है…

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Added by Sushil Sarna on February 14, 2022 at 2:42pm — 4 Comments

तेरे मेरे दोहे ..

तेरे मेरे दोहे :

दंतहीन मुख पोपला, हुए दृष्टि से सूर ।

शक्तिहीन काया हुई, चलने से मजबूर ।।

दंतहीन मुख पोपला, दृष्टि से लाचार ।

देख -देख मिष्ठान को, मुख से टपके लार ।।

लघु शंका बस में नहीं, मुख से टपके लार ।

बदला सा लगने लगा , अपनों का व्यवहार ।।

काया का सूरज ढला, ढली श्वास की शाम ।

दूर क्षितिज पर साँझ की, लाली करे प्रणाम ।।

काया साँसों से चले ,चले कर्म से नाम ।

चंचल मन के अश्व की, वश में रखो…

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Added by Sushil Sarna on February 3, 2022 at 3:00pm — 10 Comments

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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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