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Ajay sharma's Blog – January 2013 Archive (3)

हर किसी शख्स को आइना , बनाने वाले ....................

लाख चेहरों को छिपाते हैं, छिपाने वाले, 

तू सबको पहचान ही लेता है, बनाने वाले |



कौन ठोकर पे है किसको सलाम करना है, 

इल्म हर बात का रखते हैं ज़माने वाले |



जब कही सर भी छिपाने की जगह न मिली, 

खूब पछताए मेरे घर को , जलाने वाले |



सच्ची बातें नहीं मरती हैं कभी सच है, 

सच्चे इंसान हो पर, सच को, सुनाने वाले |

 

अपने चेहरे की खो देते हैं वो पहचान "अजय"

हर किसी शख्स को आइना, बनाने वाले |



मौलिक एवं अप्रकाशित …

Added by ajay sharma on January 17, 2013 at 11:00pm — 2 Comments

थकन से चूर मुझसे एक दिन सप्ताह ने बोला

ज़माने को सरल सीधे , नहीं चेहरे सुहाते है 

हैं अब दर्पण वही जिनको , नहीं श्रृंगार भाते हैं 

 
कभी सौगंध पर इक , था चलन सौ बार मरने का 
मगर अब इक कसम निभती नहीं सौ बार खाते है 



वही अब शख्स है मशहूर हर महफ़िल में देखा है 

जिसे बस झूठ और साजिश के सब व्यौहार आते हैं 
 
उसे मंज़ूर कब होंगी फरेब और झूट की दौलत 
वो बन्दा…
Continue

Added by ajay sharma on January 13, 2013 at 11:51pm — 7 Comments

ज़ख्म चेहरे से दिखाना दर्द की है ज़िद पुरानी ............

जब हुई रुसवा तरन्नुम से ग़ज़ल इस ज़िन्दगी की 

आंसुयों ने नज़्म लिखी रख दिया उनवान पानी 



आइनों से शर्त रख दी मुस्कराहट की लबों पे 

इसलिए झूठी ग़मों की कर रहा मैं तर्जुमानी 



और भी अब बढ गयी दुश्वारियां मेरे सफ़र की 

पत्थरों को ढूँढती फिरती मेरी किस्मत दीवानी 



गर ये नादाँ सब्र होती तो मुनासिब था "अजय" …

Continue

Added by ajay sharma on January 7, 2013 at 11:00pm — 3 Comments

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