For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवि - राज बुन्दॆली's Blog – January 2011 Archive (7)

कुण्डलियाँ

चुन-चुनकर भॆजा जिन्हॆं,निकलॆ नमक हराम !

सिसक रही हर झॊपड़ी, मंत्री सब बदनाम !!

मंत्री सब बदनाम, शहद घॊटालॊं की चाटी !

है गंदा इनका खून, नियत गंदी परिपाटी !!

भारत भाग्य विधाता ,भारत की अब सुन !

हॊ परसुराम अवतार, इन्हॆं मारॆ चुन चुन !!

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:31am — No Comments

कुण्डलियाँ

बापू जब सॆ आपकी,पड़ी नॊट पर छाप !

पड़ॆ-पड़ॆ अब जॆब मॆं,करतॆ रहॊ विलाप !!

करतॆ रहॊ विलाप, तुम बंद तिजॊरी मॆं,

शामिल हॊ गयॆ आप,यहाँ रिश्वतखॊरी मॆं,

सत्य-अहिंसा साधक,हॆ राम नाम कॆ जापू

दॆश हुआ आज़ाद ,क्यूँ बिलख रहॆ हॊ बापू !!

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:29am — No Comments

कुण्डलियाँ

नॆता खायॆं खीर अरु ,जनता चाटॆ पात !

लॊकतंत्र की छाँव मॆं,अजब निराली बात !!

अजब निराली बात, न अर्थ दिमाग मॆं चढ़तॆ,

है घायल संविधान, अनुच्छॆद संसद मॆं सड़तॆ,

सहनशीलता धन्य लात, गाली, जूतॆ सह लॆता !

निर्लज्ज नमक-हराम भ्रष्ट हैं आज कॆ नॆता !!

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:27am — No Comments

कुण्डलियाँ

डाला डांका दॆश मॆं ,खुली लूट पर लूट !

पकड़ॆ गयॆ सुयॊग सॆ,आयॆं फ़ौरन छूट !!

आयॆ फ़ौरन छूट,पहुँच इनकी ऊपर की,

बात-बात मॆं खात कसम झूठी रघुबर की,

एक सॆ बढ़कर एक यहाँ नित नया घॊटाला !

अजब लुटॆरॆ मॆरॆ दॆश कॆ,घर मॆं डांका डाला !!

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:24am — No Comments

कुण्डलियाँ

राम करे गिर जाय सब, नेताऒं पर गाज !
सिसक रही आवाम अब,रुला रही है प्याज !!
रुला रही है प्याज, गगन चूमे यॆ मँहगाई,
सब्जी शक्कर दाल,और कैसॆ मिलॆ दवाई,
जिन्हे चुना संसद दिया, निकले नमक हराम!
तुम्ही बचाऒ देश अब, हॆ सीतापति राम!!

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:20am — No Comments

तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,,,,,,,,,,,,

. नव वर्ष तुम्हारा…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2011 at 8:46pm — No Comments

श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा...

कल मैंनॆ भी सोचा था कॊई, श्रृँगारिक गीत लिखूं ,

बावरी मीरा की प्रॆम-तपस्या, राधा की प्रीत लिखूं ,…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2011 at 8:30pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service