For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत (लावणी व कुकुभ मिश्रित)

आधार छन्द : 16+14 लावणी व कुकुभ मिश्रित,,

कोयल कुहुकी मैना बोली,भौंरे गूँजे भोर हुई ।।
आँख चुराये चन्दा भागा,रैन बिचारी चोर हुई ।।
कोयल कुहुकी,,,,

पूरब में ज्यों लाली निकली,सजा आरती धरा खड़ी,
उत्तुंग हिमालय पर लगता,कंचन की हो रही झड़ी,
बर्फ लजाकर लगी पिघलने,हिमनद रस की पोर हुई ।।(1)
कोयल कुहकी मैना बोली,भौंरे,,,,

सात अश्व के रथ पर चढ़कर,आ गए दिवाकर द्वारे,
स्वागत में मुस्काई कलियाँ,भँवरों नें मन्त्र उचारे,
सूर्यमुखी को देख कुमुदनी,मानो आज चकोर हुई ।।(2)
कोयल कुहकी मैना बोली,भौंरे,,,,

बाँह पसारे खड़े बगीचे,झुकी लतायें नमन करें,
मोंती जैसे ओस बिन्दु से,प्यास अधर की शमन करें,
मंद मंद बह रही हवायें,चहल-पहल हर ओर हुई ।।(3)
कोयल कुहकी मैना बोली,भौंरे,,,,

गिरगिट और गिलहरी,कौआ,बिल्ली चूहे निकल पड़े,
ऊषा का अभिनन्दन करनें,हाँथ जोड़कर हुए खड़े,
गीत प्रभाती गूँज उठे दिशि,पूरब भाव विभोर हुई ।।(4)
कोयल कुहकी मैना बोली,भौंरे,,,,

"डॉ राज़ बुंदेली"
17/01/2017

मौलिक एवं अप्रकाशित,,,,

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on January 19, 2017 at 11:33am
बहुत सुन्दर मनभावन गीत .. बधाई   ..सादर
Comment by Samar kabeer on January 18, 2017 at 3:31pm
जनाव डॉ.राज़ बुन्देली जी आदाब,बढ़िया लगा आपका गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2017 at 1:13pm
आद0 राजा बुंदेली जी सादर अभिवादन, प्रातःकालीन बहुत ही खूबसूरत सा गीत आपके माध्यम से पढ़ने को मिला, इस प्रस्तूति पर बधाई निवेदित है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2017 at 12:15pm

आदरणीय राज बुन्देली जी, प्रभात-बेला पर बहुत अच्छा गीत लिखा है आपने. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service