नॆता खायॆं खीर अरु ,जनता चाटॆ पात !
लॊकतंत्र की छाँव मॆं,अजब निराली बात !!
अजब निराली बात, न अर्थ दिमाग मॆं चढ़तॆ,
है घायल संविधान, अनुच्छॆद संसद मॆं सड़तॆ,
सहनशीलता धन्य लात, गाली, जूतॆ सह लॆता !
निर्लज्ज नमक-हराम भ्रष्ट हैं आज कॆ नॆता !!
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