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Atul Chandra Awsathi *अतुल*'s Blog – January 2013 Archive (2)

समाज का पोस्टमार्टम

गिर रहा है मनुष्य का अस्तित्व

यह शब्द हर समय वातावरण में गूंज रहा है।

फिर भी थम नहीं रही है,

बलात्कार और अपहरण की घटनाएं

कभी बस, कभी ट्रेन तो कभी चौक चौराहे से उठ रही हैं

सिसकियां

हर समय हो रहा है समाज का पोस्टमार्टम

एक

आज के अखबार में छपा था

चौराहे पर दिन दहाड़े हुआ

एक कमसिन युवती के साथ बलात्कार

अखबार को मिले चटपटे मसाले से

उड़ रही थीं समाज की धज्जियां

पत्रकार और अभियुक्त दोनों ताव दे-देकर ऐंठ रहे थे मूंछे

क्योंकि

एक पहले पन्ने…

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Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 24, 2013 at 9:14pm — 9 Comments

शर्म करो ऐ तनिक दरिंदों शर्म करो

शर्म करो ऐ तनिक दरिंदों शर्म करो,

मनुज रूप में तनिक दरिंदों शर्म करो।

दिल्ली की सड़कों पर तुमने यह क्या कर डाला।

बापू औ पटेल की धरती पर क्या रच डाला।

तेरी करतूतों से फिर है देश हुआ गमगीन,

शर्म करो ऐ तनिक दरिंदों शर्म करो....

नारी ही दुर्गा है नारी ही लक्ष्मी बाई,

नारी ही कल्पना हमारी नारी ही माई।

माता के स्वरूप को तुमने ही तिल तिल मारा,

दिल्ली की सड़कों पर तुमने यह क्या कर डाला।

तेरह दिन तक जीवन से भी हार नहीं मानी,

पल-पल जिसने अपनी…

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Added by Atul Chandra Awsathi *अतुल* on January 20, 2013 at 9:00pm — 3 Comments

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