For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

anamika ghatak
  • Female
  • noida
  • India
Share on Facebook MySpace

Anamika ghatak's Friends

  • Bhawesh Rajpal
  • CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU'
  • AjAy Kumar Bohat
  • आशीष यादव
 

anamika ghatak's Page

Latest Activity

anamika ghatak commented on Dayaram Methani's blog post झूठ का व्यापार - ग़ज़ल
"अत्यंत सुंदर लिखा है। सच्चाई बयाँ किया है आपने"
Apr 8, 2019

Profile Information

Gender
Female
City State
noida
Native Place
noida
Profession
service
About me
kavitao ke madhyam se bhawnao ko vykta karne ki koshish

Anamika ghatak's Blog

सब कहते हैं...

सब कहते हैं शहर में भी सहर होता है
पर शहर में बसर कहाँ बशर होता है

दूर दूर जहाँ तक नज़र जाती है
धुँआ धुँआ शहर ये ज़हर ढोता है

दाग़ ग़ालिब का ये जो पुराना शहर है
बात बात में गालियों का हर्जाना भरे है

क्या हो गया है इस नए ज़माना ए नस्ल को
रिश्तों को सरेआम सरेबाज़ार करे हैं

शब ओ सहर ए उजाला ए फ़साना
शहर ए ग़म की कहानी कहे है

क्या कहूँ अब किस्सा ज़िंदगी का
सब अपनी अपनी कहानी कहे हैं

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Posted on November 11, 2017 at 11:04am — 5 Comments

तृष्णा

इन बारिश की बूंदों को
तन से लिपटने दो
प्यासे इस चातक का
अंतर्मन तरने दो
बरसो की चाहत है
बादल में ढल जाऊं
पर आब-ओ-हवा के
फितरत को समझने दो
फिर भी गर बूंदों से
चाहत न भर पाए
मन की इस तृष्णा को
बादल से भरने दो

Posted on June 14, 2012 at 8:00pm — 4 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:48am on August 22, 2012, Sanjay Rajendraprasad Yadav said…
"बहुत सुन्दर, विरह के शर्द- दर्द है इसमे.... अनामिका जी बधाई आपको............!!!!  
At 9:06pm on January 3, 2012, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service