शायद अब इच्छाओं का अंत हो रहा है
यह सीमित शरीर अब अनंत हो रहा है
रे मन अचानक तुझे ये क्या हो गया है
खिलखिलाता था तू अब कुमंत हो रहा है
खुशियां बहुत सी बटोरी थी हमने भी
हर यादगार लम्हा अब अश्मंत हो रहा है
करीबी रिश्तों का मेरे मन के साथ सजाया
हर विचार शायद अब उमंत हो रहा है
करंड की भांति हर शरीर धरा पर मेरा भी
शहद या धार चली गई अब अस्वंत हो रहा है
मेरा चंचल मन जो नरेश था मेरे निर्णयों…
ContinuePosted on July 7, 2020 at 10:00am — 1 Comment
वो फख्र से जुदा हुए अनजान बन गए
प्यार का क़तल किया दीवान बन गए (1)
देते कभी थे इश्क़ में जन्मो के वास्ते
वो चार रोज़ में ही बेगान बन गए (2)
वादों की और इरादों की लम्बी कतार थी
फहरिस्त उन इरादों के अरमान बन गए (3)
अक्सर वफ़ा की कसमें जो खाते थे बार बार
कल तोड़ के कसम वो बेईमान बन गए (4)
महफ़िल कभी जिनके लिए हमने सजाई थी
आज उनकी महफ़िलों के महमान बन गए (5)
एहसास जिनकी कश्ती में महफूज़ था हमें
साहिल…
Posted on June 12, 2020 at 10:18am — 12 Comments
आज ऐरावत की मौत हुई तो कोप जताने आया हूँ
जन्म से पहले प्राण गए हैं रोष दिखाने आया हूँ
आया हूँ मैं ये प्रण लेकर संताप नहीं ये कम होगा
धोखे से मनु ने प्राण हरे जो लड़ने का न दम होगा
मानव कितना नीच जीव है कहता खुद को सबसे ऊपर
अ हिंसा का भाषण देकर हाथ उठाता मूक जीव पर
दम्भ तुझे किस बात का मानव तू क्यों इतना है इतराता
तेरे खेल की आग में जलकर झुलस गई गज की माता
कैद रहा है तीन माह से क्या…
ContinuePosted on June 11, 2020 at 8:33pm — 2 Comments
मिलते वहीँ थे घाट पे करते थे गुफ़्तगू
तेरे बगैर घाट भी वीरान बन गए
उस पार रेत से जो हमने घर बनाए थे
वो प्रेमियों केे प्रेम केे निशान बन गए
अक्सर बिताईं शामें हमने विश्वनाथ में
अब पूजते हैं उनको वो भगवान् बन गए
चर्चे हमारे इश्क़ के गलियों में खूब थे
ख़बरों में थे कभी अभी गुमनाम बन गए
किस मोड़ पर ये इश्क़ हमको लेके आ गया
जलकर तुम्हारे प्यार में शमशान बन
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on June 10, 2020 at 11:23am — 7 Comments
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