212 212 212 212
नाज़ नख़रों का अंदाज़ अच्छा लगा
इस मुहब्बत का आग़ाज़ अच्छा लगा-1
सोचा था हम न देखेंगे मुड़ के कभी
पर बुलाने का अंदाज़ अच्छा लगा-2
बेदख़ल दिल से हमको न करना कभी
धड़कनों का तेरा साज़ अच्छा लगा-3
मेरी ख़ालिस मुहब्बत को ठुकरा…
ContinuePosted on August 12, 2020 at 4:30pm — 15 Comments
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