For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोल क्या कमी रही....

हर राह पर तेरी रजा
तू ही सनम तू ही खुदा
तो क्यों ही तेरे फैसलों पे
धूल सी जमी रही
बोल क्या कमी रही

क्यों ही तेरे दिल में वो, गैर ही बसा रहा,
क्यों लचकती बांह में गुल वही कसा रहा|
मैं भी तो पलाश बन बिछा था तेरी राह में,
मैं भी तो बहार सब लुटा रहा था चाह में|
क्यों दुआ में जागती
फिर आँख में नमी रही
बोल क्या कमी रही?

कैसे तेरे दिल से मैं नाम उसका खींच लूं,
या कि अपनी चाहतों के मैं गले ही भींच दूं|
तू देख मेरे हाथ से तिनके भी छूटते हुए,
तू देख नन्ही तितलियों के पंख टूटते हुए|
और वो खुदाई अपनी
नींद में रमी रही
बोल क्या कमी रही.....
-पुष्यमित्र

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aarti Sharma on February 25, 2013 at 5:29pm

वाह  बहुत खूब पुष्यमित्र जी..सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें...

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 23, 2013 at 7:05pm
आदरणीय पुष्यमित्र जी! आपने प्रेम के टूटन को जादुई शब्दों में पिरोया है।शब्द-शब्द मन में लकीर खींचते हुये गहरे तक उतर जाते हैं।
/मैं भी तो बहार सब लुटा रहा था चाह में।/ऐसा एक पहला वियोगी कवि ही कह सकता है।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 23, 2013 at 6:43pm

प्रेम में मिली हताशा,  टूटन और व्यथा को सुन्दर शब्द मिले हैं.  भुक्तभोगी शैली में कही गयी इस रचना े शब्द यथानुरूप भावुक हैं.  रचना में यथोचित प्रवाह है. 

अपने रचनाकर्म के कैनावस पर अन्य भाव रंगों को प्रयुक्त करने का भी प्रयास करें. 

शुभेच्छाएँ. ..

Comment by Pushyamitra Upadhyay on February 23, 2013 at 6:37pm

आदरणीय अजय सर, मंजरी दीदी
अनुज का प्रणाम स्वीकार कीजिये

Comment by Pushyamitra Upadhyay on February 23, 2013 at 6:36pm

प्राची दीदी आपका स्नेह सदैव मुझे मिलता है
स्नेह के लिए प्रणाम स्वीकार कीजिये

Comment by Pushyamitra Upadhyay on February 23, 2013 at 6:33pm

राम जी बहुत बहुत धन्यवाद् जी

Comment by Pushyamitra Upadhyay on February 23, 2013 at 6:32pm

आदरणीय बागी सर,
आपका कोटि कोटि आभारी हूँ
स्नेह बनाये रखिये :)

Comment by mrs manjari pandey on February 23, 2013 at 5:58pm

आदरणीय पुष्यमित्र जी " क्यों दुआ में जगती फिर आँख में नमी रही"  भावुक कर गई रचना बधाई।

Comment by Dr.Ajay Khare on February 23, 2013 at 5:57pm

upadhya ji dil se nikali rachana hai dil ko choo gai badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 23, 2013 at 3:25pm

वियोग के दर्द से बिलखती रचना बहुत प्रवाहमय लिखी है आदरणीय पुष्यमित्र जी 

तू देख मेरे हाथ से तिनके भी छूटते हुए,............पल पल उम्मीदों का टूटना 
तू देख नन्ही तितलियों के पंख टूटते हुए|...........मासूम दिल के टूटते जाने को बहुत सुन्दर शब्द मिले हैं 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service