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148वाँ मोतीराम भट्ट राष्ट्रीय ग़ज़ल महोत्सव 2070 ((विक्रमी संवत), काठमाण्डू (नेपाल) में आयोजित ग़ज़ल गोष्ठी और कार्यशाला (प्रथम दिवस, दि 06/सित./2013)
बायेंसे - रामप्रसाद ज्ञवालीजी, ज्ञानु विद्रोही, भद्रजन, ज्ञानुवाकर पौडेल, सौरभ पाण्डेय, करुण थापा, बूँद राना, वीनस केसरी

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 1:23pm

आपका सद्विचार प्रभावी लगा आदरणीय अखिलेश भाईजी. किन्तु आपने अपने उद्दात विचार ऐसे फोटो पर दिये जहाँ हम दो भारतीयों के अलावे किसी नेपाली नागरिक ने अपना पारम्परिक पोशाक नहीं पहना है.  :-))

वैसे आपका कहना सही है, आदरणीय.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 12, 2013 at 1:10pm

जितने पोस्टर और जितने लोग दिखे लगा कि नेपाली अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपनी पोषाक को न सिर्फ बचा के रखे हैं बल्कि उस    पर गर्व भी  करते हैं । बधाई नेपाली भाई बहनों और सप्रेम राधे-राधे॥ काश हम भारतवासी भी ऐसे होते और उनसे कुछ सीखते। 

बधाई और शुभकामना सौरभ भाई । कुछ गीत संगीत गजल का आडिओ/ वीडिओ रिकार्डिंग हो तो अवश्य दिखलाएं। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 11, 2013 at 7:39am

नेपाली साहित्य के मूर्धन्य जनों के साथ स्वयं को देखना सम्मान की बात थी.

कृपया ध्यान दे...

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