For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक - 25 (Now closed with 1348 Replies)

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 25  में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.  प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है, इस चित्र में जैसा कि प्रथम दृष्ट्या प्रतीत हो रहा है पुलिस-भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.

अब आप सभी को इसका काव्यात्मक मर्म चित्रित करना है !

                                                                                                              *चित्र गूगल से साभार

 

जीवन है संग्राम सम, अनथक हो व्यक्तित्व
सार्थक सबकी भूमिका, पृथक-पृथक दायित्व


तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी.. और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओबीओ प्रबंधन द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों पर ही आधारित काव्य-रचनाओं पर होगा.  कृपया इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त प्रकार अवश्य उल्लेख करें. ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 

नोट :-
(1) 18 अप्रैल-13 तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, 19 अप्रैल-13 से 21 अप्रैल-13 तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद ही स्वीकार किये जायेगें.

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|

अति आवश्यक सूचना :- ओबीओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-25, तीन दिनों तक चलेगा जिसके अंतर्गत इस आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट अर्थात प्रति दिन एक पोस्ट दी जा सकेगी. नियम विरुद्ध या निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी.
मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Facebook

Views: 22494

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

भाई हो तो ऐसा........

ढेढ़ पसली ना समझे, => आप के सन्दर्भ में है,

सीने को तो माप, => तू के सम्बन्ध में है, 

एकरूपता होनी चाहिए, साथ ही विद्वजन ना हेतु मना करते है | 

//विद्वजन ना हेतु मना करते है//

किस विद्वान ने किस छंद के लिए ना का होना मना किया है. .?

विद्वजनों का नाम नहीं लेते आदरणीय, कई बार सुना तो इस पचड़े में पड़ना छोड़ दिया, क्योंकि ना को नहि / नहीं करने में समस्या क्या है । 

विवाद से दूर, आनंद भरपूर !!

तो ऐसी बातें खुल्लमखुल्ला न किया कीजिये, साईं.. 

ना एकदम गलत नहीं है.. नम्बर एक. 

दूसरे, नहि मात्र आंचलिक तौर पर स्वीकार्य शब्द है, जबकि खड़ी बोली में ना पूरी तरह से मान्य है. 

तीसरे, समस्या यह है कि हम अनावश्यक ’वाद’ या जबरी की ’मान्यताएँ’ लागू करने से यथासंभव बचें..

वर्ना मेरी तरह .. पूछेगा सारा गाँव बंधु... दैट्स व्हाई ..बाँधो ना नाव इस ठाँव बंधु

:-)))))))))))))))

खुल्लमखुल्ला से ही "ना" के उपयोग के बारे में सीखने को मिल गया आदरणीय |आप दोनों 

विद्वजनो का साधुवाद 

हा हा हा.. .

आदरणीय सौरभ जी, मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ। यह शब्द विवादित होने से मैं अनेक रचनाएँ निरस्त कर चुकी हूँ, क्योंकि ना की एक मात्रा मानने के लिए कहा जाता है। जब हर शब्द जिसमें आ की मात्रा लगती हो, दो मात्रिक माना जाता है फिर ना के साथ अन्याय क्यों? जहां एक मात्रा चाहिए 'न'जहां दो वहाँ 'ना'और जहां तीन मात्राओं की आवश्यकता हो वहाँ नहीं का प्रयोग कर सकते हैं।

आदरणीया कल्पनाजी, आपकी बातों से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ.  इसके अलावे कुछ कहने वालों की न मैं सुनता हूँ न उनको सुनाने देना चाहता हूँ.

किंतु बात यहाँ और ना को लेकर नहीं बल्कि ना के प्रयोग को ही खारिज़ करने की है. जो मुझे किसी दष्टि से तार्किक नहीं लगती.

दूसरे, छंद रचनाओं में रचनाकारों द्वारा प्रयुक्त आंचलिक शब्दों के बाहुल्य के कारण रचना यदि आंचलिक तासीर वाली हो जाती है, तो नहीं या ना का एक मान्य प्रारूप  नहि भले चल जाय, किंतु खड़ी हिन्दी में तो ऐसा कोई शब्द ही नहीं है. यदि कुछ है तो न, ना और नहीं. 

लेकिन कतिपय स्वघोषित विद्वान ग़ज़ल की चकाचौंध में शायद ना  के प्रयोग को ही खारिज़ करने को आमादा हैं. वर्ना इसके अलावे मुझे कोई और कारण समझ में नहीं आता.

सादर

गुरुदेव क्या हिन्दी खड़ी बोली में /ना/ का प्रयोग दोष पूर्ण नहीं माना जाता।

ना भइया.. . 

आप प्रयोग न करना चाहें तो यह आपकी मर्ज़ी.  या कई भौगोलिक क्षेत्रों में ना का प्रयोग नहीं होता वह वहाँ की समस्या.

शुभ-शुभ

"आप" के सन्दर्भ में और माप "तू" के सन्दर्भ में | पारखी नजर से बहुत गहरी बात पकड़ कर समझाने के लिए 

आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री गणेशजी बागी जी | विद्वजन के बात शिरोधार्य, "ना" की जगह "नहि" कर दिया जाय 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
18 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
18 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
18 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service