For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार पचासीवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

18 मई 2018 दिन शुक्रवार से 19 मई 2018 दिन शनिवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

शक्ति छंद और चौपई छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

चौपई छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 मई 2018 दिन शुक्रवार से 19 मई 2018 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5003

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते बहुत सुन्दर चौपई छंद रचे हैं आपने. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.फिरभी  तीसरे छंद के अंतिम चरण में गेयता कम लग रही है. सादर. 

जी सुधार की गुंजाइश है। उत्साह बढ़ाने के लिए आभार

आद० अजय गुप्ता जी प्रदत्त चित्र को सार्थक करती चौपई बहुत ही खूब दिल से बहुत बहुत बधाई आपको |

आदरणीय अजय जी, आपकी रचना ने प्रसन्न कर दिया। प्रदत्त चित्र के मर्म को जिस तरह से आपने छुआ है, वह आपकी रचनाधर्मिता को दर्शाता है। दो जगह सुधीजनों ने आपकी गलती की ओर ध्यान दिलाया है, वह उचित है। 

लेकिन आपकी रचना चित्र को बहुत सही ढंग से शाब्दिक कर रही है। इस हेतु आपको हृदय से बधाइयाँ दे रहा हूँ। 

शुभ-शुभ

प्रस्तुति क्रम 2, शक्ति छंद
शीर्षक: नए सपने
**********

नहीं सो रही हैं नईं पीढ़ियाँ,
पसंद है इन्हें पर नईं सीढियाँ
नहीं चाहते हैं कि अफ़सर बनें,
इन्हें ख्वाहिशें है कि रहबर बनें

लुभाती नहीं है इन्हें पुस्तकें,
नईं मंजिलों पर ठकें दस्तकें
खुले नैन से ही सपन देखते,
कहाँ पाँव रखना यही सोचते

नया है ज़माना नया रंग है,
नए हैं इरादे नया ढंग है
नए आसमा हैं उड़ानें नई,
निराशा टिके जो जगह ना कोई

नहीं आलसी न ही कमज़ोर हैं,
बड़ी लालसा इनकी घनघोर है
कभी रात को ना बुझाते दिया,
कभी दिन में ही मेज तकिया किया

न ट्यूशन, न कोचिंग, किसी से मना
मगर लाभ क्या है बताओ ज़रा
न परिवर्तनों से डरो, लो ढलो
समय साथ अभिभावकों तुम चलो

#मौलिक एवं अप्रकाशित

साइट स्लो होने की वजह से यही रचना दो बार और पोस्ट हो गई। आयोजकों से अनुरोध हैं उन्हें हटा दें।

आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत सुन्दरता से परिभाषित करते शक्ति छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. किन्तु आपने कई जगह आपने जो तुक प्रयोग किया है वह छान्दसिक तुक नहीं है कहीं तो इसकारण से शिल्प भी प्रभावित हुआ है. जैसे तीसरे छंद में प्रयुक्त नई/कोई .  छंदों में मात्रा गिराने की सुविधा नहीं होती यह मानकर छंद रचेंगे तो शिल्प भी सुघढ़ होगा. सादर. 

जी अशोक जी। सहमत हूँ आपसे।

आद० अजय गुप्ता जी दूसरी प्रस्तुति भी अच्छी है जहाँ कुछ कमी दिखाई दी आद० अशोक रक्ताले जी बता चुके .पहली प्रस्तुति तो बहुत शानदार है .आपको बहुत बहुत बधाई 

आदरणीय अजय जी, आपकी लगातार दूस्री रचना पढ़ रहा हूँ और फिर से मन मुग्ध है। आप तनिक ध्यान दें और सचेत रहें तो आप बेहतर छांदसिक रचनाएँ लिख सकते हैं। आदरणीय अशोक भाईजी ने जो सुधार दर्शाए हैं उन्की ओर आप अवश्य ध्यान दीजिएगा। फिर, ’पसंद है’ को आप लघु-गुरु-गुरु में कैसे बाँध सकते हैं ? 

शुभ-शुभ

प्रस्तुति क्रम 2, शक्ति छंद
शीर्षक: नए सपने
**********

नहीं सो रही हैं नईं पीढ़ियाँ,
पसंद है इन्हें पर नईं सीढियाँ
नहीं चाहते हैं कि अफ़सर बनें,
इन्हें ख्वाहिशें है कि रहबर बनें

लुभाती नहीं है इन्हें पुस्तकें,
नईं मंजिलों पर ठकें दस्तकें
खुले नैन से ही सपन देखते,
कहाँ पाँव रखना यही सोचते

नया है ज़माना नया रंग है,
नए हैं इरादे नया ढंग है
नए आसमा हैं उड़ानें नई,
निराशा टिके जो जगह ना कोई

नहीं आलसी न ही कमज़ोर हैं,
बड़ी लालसा इनकी घनघोर है
कभी रात को ना बुझाते दिया,
कभी दिन में ही मेज तकिया किया

न ट्यूशन, न कोचिंग, किसी से मना
मगर लाभ क्या है बताओ ज़रा
न परिवर्तनों से डरो, लो ढलो
समय साथ अभिभावकों तुम चलो

#मौलिक एवं अप्रकाशित

चित्र के अनुरूप बहुत सुंदर है आपकी यह प्रस्तुति, हार्दिक बधाई

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service