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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार तिरासीवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

16 मार्च 2018 दिन शुक्रवार से 17 मार्च 2018 दिन शनिवार तक
 
इस बार पुनः छंदों की पुनरावृति हो रही है - 

शक्ति छंद और भुजंगप्रयात छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

[प्रस्तुत चित्र अंतर्जाल से]

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

भुजंगप्रयात छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 16 मार्च 2018 दिन शुक्रवार से 17 मार्च 2018 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

 आदरणीय अखिलेश जी , प्रदत्त चित्र  पर आपने बहुत सुंदर शक्ति छंद रचे हैं..हार्दिक  बधाई स्वीकार करें !

आदरणीया अनामिकाजी

आपका हृदय से धन्यवाद, आभार

जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब,प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते बढ़िया शक्ति छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कुछ शब्दों में अनुस्वार न लगने के कारण एक वचन और बहुवचन का दोष पैदा हो गया है,देखियेगा ।

आदरणीय समरकबीर  भाईजी

रचना की प्रशंसा के लिए आपका हृदय से धन्यवाद, आभार। अनुस्वार पर आपने सही कहा है।

भुजंग प्रयात छन्द


(१)
बुरी भूख है तो भली यार रोटी
कहीं हार तो है कहीं भार रोटी
बताती यही हैं पकी चार रोटी
रही जिंदगी का सही सार रोटी
(२)
बहे जो पसीना बड़ी स्वाद रोटी
बनी हाथ माँ के रहे याद रोटी
दुखी हो चबाओ बने गाद रोटी
कि खालो खुशी से बने खाद रोटी
(३)
कहीं भूख जोरों जरा भी सताती
पका साग रोटी सदा दे बुलाती
चटाई बिछा पास में यूँ बिठाती
लगा गाय का घी उसे माँ खिलाती
(४)
कहाँ भाग्य ऐसा सभी का भला है
लिए भूख माँ  का  दुलारा पला है
उगा भानु तो साँझ यूँ ही ढला है
कई गेह  चूल्हा न  देखो जला है
(५)
जहाँ रोटियों की बड़ी ही कमी है
वहीं भूख आ के हमेशा जमी है
कि रोटी कहीं पीढ़यों में रमी है
कहीं साँस रोटी बिना ही थमी है
(६)
कभी बैठ  रोटी  नहीं राम देगा
भले वो दया में कहीं काम देगा
उठा हाथ ये ही बड़ा नाम देगा
पसीना बहाना सुखी शाम देगा
(७)
कि  बातें  बताती  यही तीन रोटी
कभी तू किसी की नहीं छीन रोटी
गिरी हो कहीं तो सदा बीन रोटी
खिला खूब मागे कभी दीन रोटी

मौलिक अप्रकाशित

बढ़िया कविता हुई है धामी साहब.

""उठा हाथ ये ही बड़ा नाम देगा
पसीना बहाना सुखी शाम देगा""

बहुत बढ़िया 

आ. भाई अजय जी , हार्दिक आभार ।

आदरणीय लक्ष्मणभाईजी

भुजंग प्रयात छन्द में इस सुंदर रचना के लिए हृदय से बधाई।  3 व 4 बंद के लिए विशेष बधाई।

आ. भाई अखिलेश जी, उपस्थिति और स्नेह के लिए धन्यवाद ।

कि  बातें  बताती  यही तीन रोटी
कभी तू किसी की नहीं छीन रोटी
गिरी हो कहीं तो सदा बीन रोटी
खिला खूब मागे कभी दीन रोटी//  वाह  ..बहुत  ही  सुन्दर ..हर एक छंद बहुत सुन्दर और चित्रानुरूप बना है ,  हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी 

आ. प्रतिभा बहन, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी विषयानुकूल बहुत जबरदस्त रचना हुई  दिली मुबारकवाद कुबूल कीजिये

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