For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार चौवनवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 16 अक्तूबर 2015 दिन शुक्रवार से 17 अक्तूबर 2015 दिन शनिवार तक

इस बार गत अंक में से दो छन्द रखे गये हैं - रोला छन्द और कुण्डलिया छन्द.


हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन दोनों छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

जैसा कि विदित ही है, छन्दों के विधान सम्बन्धी मूलभूत जानकारी इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

रोला छ्न्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

 

कुण्डलिया छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 16 अक्तूबर 2015  से 17 अक्तूबर 2015 यानि दो दिनों के लिए  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9533

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय शिज्जू भाई जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद

अपने ही भीतर से आत्मीय शक्ति को पाती और हर विशमता से पार जाने का हौसला और विश्वास रखती इस सुन्दर प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई प्रेषित है आ० मिथिलेश जी 

सादर 

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद

अल्प विकलांता हो या पूर्ण, अस्थायी हो या स्थायी, पीड़ित की अपनी सोच, इच्छायें , कल्पनायें होती हैं, सब बातों को समेटते हुये बढ़िया रोला छंद रचे हैं आपने आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय उस्मानी जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद

मन के कोरे स्थान में रहती दुबकी आस
उत्साहित करती वही मानव करे प्रयास
मानव करे प्रयास, जानता यदि तन साधन
चाहे अंग स-सीम, प्रबल लेकिन होता मन
यही सोच का रंग सजे मन सपना बनके
चाहे तन लाचार खोलता ताले मन के
*******
(मौलिक और अप्रकाशित)

मन के कोरे स्थान में रहती दुबकी आस 
उत्साहित करती वही मानव करे प्रयास ...............बहुत सच्ची  बात कह दी है  इस दोहे में आपने.
मानव करे प्रयास, जानता यदि तन साधन 
चाहे अंग स-सीम, प्रबल लेकिन होता मन 
यही सोच का रंग सजे मन सपना बनके 
चाहे तन लाचार खोलता ताले मन के .............मन में चाह का होना बहुत  जरूरी है.

आदरणीय  सौरभ जी सादर  प्रणाम, चित्र के भावों में मानव मन की चाह  की  झलक  को शब्दों में ढालता सुंदर कुण्डलिया छंद रचा है. बहुत-बहुत  बधाई स्वीकारें. सादर.

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अशोक भाईजी. 

आदरणीय सौरभ जी । आपके इस छंद के लिये एक वाक्‍य याद आ रहा है मन के हारे हार है मन के जीते जीत  इस भाव के साथ विषय को व्‍यक्त करते इस छंद के लिये आपको बहुत बहुत बधाई । मंच के प्रथम उत्‍सव की खामोशी को देखते हुए आज आप और मिथिलेश जी पहले से ही मौजूद थे । इस समपर्ण के लिये आपका और आदरणीय मिथिलेश जी का बहुत बहुत आभार ।

आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय रवि शुक्लजी. 

आदरणीय मिथिलेशभाई की मौज़ूदग़ी से हम आश्वस्त थे कि आयोजन के शुभारम्भ का फीता सुचारू रूप से कटेगा. लेकिन देर से मंच पर आने के कारण एक कुण्डलिया रचना बना कर रख लिया था. सही कहा आपने, तनिक सचेत रहना पड़ता है.

आपको यह टोकन प्रस्तुति अच्छी लगी इसके लिए हार्दिक धन्यवाद

आदरणीय सौरभ सर, आयोजन के आरम्भ के बाद आपकी प्रस्तुति के बाद देर तक प्रतीक्षा करता रहा पर कोई नई प्रस्तुति नहीं आई तो सोचा कि सुबह कमेन्ट करूँगा. सुबह उठा तो मोबाइल पर इतने मिस्ड कॉल थे कि बस झटपट दफ्तर को भागा और रात 10 बजे जी हुजूरी से आजाद हुआ. बीच बीच में आयोजन में अपनी उपस्थिति  जरुर दर्शाता रहा पर बहुत कम. अब बैठा हूँ तो सोचा पूरा आयोजन एक बार जी लूं. सादर 

जय हो.. 

मिस्ड कॉल आफिस की थी, जान कर मन संतुष्ट है. .. ;-))

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
19 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service