For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संयुक्त अक्षरों की मात्रा गणना (आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी से वार्तालाप के आधार पर )

संयुक्त अक्षरों की मात्रा गणना:
(आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी से वार्तालाप के आधार पर )

•जब दो अक्षर मिलकर संयुक्त अक्षर बनाते हैं तो जिस अक्षर की आधी ध्वनि होती है उसकी गणना पूर्व अक्षर के साथ होती है.
यथा: अर्ध = (अ + आधा र) + ध = २ + १ = ३
मार्ग = (मा + आधा र) + ग = २ + १ = ३
दर्शन = (द + आधा र) + श + न = २ + १ + १ = ४

•आधे अक्षर के पहले दीर्घ या बड़ा अक्षर हो तो आधा अक्षर उसके साथ मिलकर उच्चरित होता है इसलिए मात्रा २ ही रहती हैं. ढाई या तीन मात्रा नहीं हो सकती.
क्ष = आधा क + श
कक्षा = (क + आधा क) + शा = २ + २ = ४
क्षत = (आधा क + श ) + त = १ + १ = २
विक्षत = ( वि + आधा क ) + श + त = २ +१+१ = ४
ज्ञ = आधा ज + ञ
विज्ञ = (वि + आधा ज) + ञ = २ + १ = ३
ज्ञान की मात्रा ३ होगी, पर विज्ञान की मात्रा ५ होगी
त्र में त तथा र का उच्चारण एक साथ होता है अतः त्र की मात्रा भी १ होगी
पत्र = २ + १ = ३
पात्र = २ + १ = ३

•संयुक्त अक्षर यदि प्रथम हो तो अर्ध अक्षर की गणना नहीं होती
प्रचुर १+१+१ = ३
त्रस्त = २ + १ = ३
क्षत = (आधा क + श ) + त = १ + १ = २

•जिन्हें तथा उन्हीं की मात्रा गणना किस प्रकार होगी ?
जिन्हें तथा उन्हीं को जोर से बोलिए अप पहले जि फिर न्हें तथा उ फिर न्हीं बोलेंगी. इसी अधार पर गिनिए. मात्रा गणना के नियम ध्वन-विज्ञान अर्थात उच्चारण के अधार पर ही बने हैं.
उन्हीं = उ + (आधा न + हीं) = १ + २ = ३
जिन्हें = जि + (आधा न + हें) = १ + २ = ३

•मात्रा गणना बिलकुल आसान है . शब्द को जोर से बोलिए... उच्चारण में लगने वाले समय का ध्यान रखें. कम समय लघु मात्रा १, अधिक समय दीर्घ मात्रा २ . कुल इतना है... शेष अभ्यास...
बोलकर अंतर समझें कन्या, हंस आदि में ‘न’ का उच्चारण क्रमशः ‘क’ व ‘ह’ के साथ है. कन्हैया में ‘न’ का उच्चारण ‘है’ के साथ है क + न्है + या
कन्या = (क + आधा न) + या = २ + २ = ४
हंस = (ह + आधा न) + स = २ + १ = ३
कन्हैया = क + न्है + या = १ + २ + २ = ५

Views: 25556

Replies to This Discussion

मुख्‍य बात यह है कि ''मात्रा गणना के नियन ध्वनि विज्ञान अर्थात उच्चारण के अधार पर ही बने हैं'' अत: उच्‍चारित कर ही वज़्न निकालना चाहिये विशेषकर जहॉं भ्रम हो। उदाहरणस्‍वरूप 'कसक' में यह भ्रम हो सकता है कि यह 111 है या 21 या 12; लेकिन उच्‍चरित कर देखें 'क' और 'सक' अलग अलग उच्‍चरित होते हैं अत: इसका वज़्न 12 हुआ।

त्रस्त  त्‍रस्‍त में स्‍त एक साथ रहेंगे इसलिये इसका वज़्न 11 रहेगा।

कहीं कहीं आपने 3 और 4 वज़्न लिखे हैं जबकि यह मात्रिक योग तो माना जा सकता है लेकिन वज़्न नहीं। वज़्न लघु या दीर्घ ही होता है।

abhaar tilak ji aapki baato se sahamt hoon yahi sawal mn me aaya hai abhaar aapka hamse yah sanjha karne hetu

आदरणीय तिलक राज कपूर जी,
उपरोक्त आलेख में, मात्रा गणना मात्रिक योग के आधार पर की गयी है, जैसा की दोहा, रोला, कुण्डली इत्यादि के लिए की जाती है..

अगर कहीं कोई भी संदेहास्पद स्थिति है, तो कृपया इंगित करें व संशोधित कर हमें त्रुटिहीन छंद रचना के लिए मार्गदर्शन अवश्य दें..

आप हार्दिक आभार.

उचित रहेगा कि गणना मार्गदर्शन लघु दीर्घ तक ही सीमित रखें। कुल मात्रिक योग तो सभी कर ही लेंगे।

आपने इतना अच्‍छा लख लिखा उसमें लघु दीर्घ से आगे जाने पर भ्रम पैछा हो कता है।

आदरणीय सलिल जी द्वारा आपकी हुई वार्ता के बाद बहुत कुछ स्पष्ट हो कर सामने आया है.  अच्छा हुआ, आपने सबके साथ साझा भी कर लिया.  

विश्वास है, प्रस्तुत लेख व्यक्तिगत समझ के साथ-साथ सभी जिज्ञासु पाठकों की समझ को आवश्यक विस्तार देगा. बस इन्हीं गणना पर संयत रहें.

सोदाहरण लेख के लिये आपका, डा. प्राची,  हार्दिक धन्यवाद.

वस्तुतः, ’क्षत-विक्षत’ से समझ आया कि इस गहन वार्तालाप का मूल क्या है.

आपने एक उदाहरण लिया हंस या ह न्‍ स का 2 1 के रूप में। यह एक अच्‍छा उदाहरण है यह स्पष्ट करने के लिये चंद्रबिन्दु की गणना नहीं होती, यानि हँस का मात्रिक वज़्न 2 ही होगा जबकि हंस का 2 1।

इसी प्रकार कृपण में कृ 1 पण 2 होगा।

विवरण में ऐसे ही अन्य रूप और सम्मिलित हो जायें तो उचित रहेगा। जैसे क्‍ र मिलकर क्र होगा क र् मिलकर क्‍या होगा इसे देखने के लिये आगे एक अक्षर और लेना होगा जैसे कि क र् त व्‍ य का सामान्‍य गणनानुसार वज़्न होगा कर्तव्य या 221  लेकिन कर्तव्‍य को कर्त व्‍य पढ़ा जाता है तो वज़्न रहेगा 211। अत: यह ध्‍शन रखना आवश्‍यक होगा कि सही उच्‍चारण करने पर ही सही मात्रिक क्रम प्राप्‍त होगा अन्यथा त्रुटि हो सकती है।

मेरा भाषा ज्ञान सीमित है इसलिये अपेक्षा है कि विद्वजन इसे और स्‍पष्‍ट करेंगे।

आदरणीय तिलक सर! सादर नमन
मेरे मतानुसार-
कर्तव्य की मात्रा गणना दोनों ही स्थितियों में 221 होगी,211 नहीं;यदि आपने पूर्व में व् का भार 'त' पर माना है तो क्योंकि कर्त व्य अलग करने पर भी व् का मात्रा भार 'त' पर ही पड़ेगा।हालांकि उच्चारण में व् का भार त पर नहीं पड़ रहा हैं।अत: मात्रा गणना 211 सही होगा।

सहमत हूँ। भार किस पर आ रहा है यह कैसे देखेंगे; उच्‍चारण से या लेखन से। मैं जो बिन्दु रखना चाह रहा हूँ वह यह है कि सही गणना हम तब ही कर सकते हैं जब हमारा उच्चारण शुद्ध हो।  

प्राची जी ने एक अच्‍छा लेख प्रस्‍तुत किया है और इसे विस्‍तृत चर्चा से आगे बढ़ाने में सब ही (सभी) का सक्रिय योगदान प्राप्‍त हो तो इस विषय पर पूर्णता प्राप्‍त हो सकती है।  

//सही गणना हम तब ही कर सकते हैं जब हमारा उच्चारण शुद्ध हो//

उच्चारण शुद्धता ही तो कसौटी है, फिर तो सारी मात्राएँ स्वतः गणना में आ जाती हैं.  संस्कृत पाठों के शब्दों का उच्चारण कितना सधा हुआ होता है यह अब कहने की बात नहीं है. संस्कृत इसलिये कि हिन्दी भाषा की क्सौटी संस्कृत के आधार पर साधी जा सकती है.  हिन्दी लिपि (देवनागरी) में वही लिखा जाता है जो हम उच्चारित करते हैं या जो उच्चारित होता है वही लिखा जाता है. किन्तु, शुद्ध उच्चारण ही सबसे बड़ी समस्या है. मूल रूप से स्कूल  को इस्कूल   या सकूल  और ऐसे कई-कई उदाहरण हैं, कहने की आदत किस तरह से मात्राओं की गणना करेगी?  अन्य व्याकरण जन्य दोष अलग तरह की समस्याएँ हैं.

उपरोक्त लेख में सारा कुछ सही है.  सतत प्रयास आगे स्वयमेव गणना के प्रति अभ्यस्त कर देता है.

कर्तव्य= क+ र् +त +व् +य होता है। अतः २२१ होगा।

प्राची जी
आपका आभार. संभवतः निम्न से शंका-समाधान हो सकेगा-
अस्त =  (अ+ आधा स) + त =  २ + १ = ३
ट्रस्ट = त्रस्त = २ + १ = ३
हंस = (ह + आधा न) + स = २ + १ = ३
निम्न = २ + १ = ३
लोक भाषाओँ और विविध अंचलों में उच्चारण के तरीके भिन्न होने से भ्रम होता है. खड़ी हिंदी संस्कृत के सर्वाधिक निकट है.
हँस = १ + १ = २
कृपया = १ + १ + २ = ४
क्रिया = १ + २ = ३
वृष्टि = २ + २ = ४
व्रत = १ + १ = २
वक्र = १ + २ = ३
शुक्र = १ + २ = ३
कृपण = १ + १ + १ = ३
अकृपण = १ + १ + १ + १ = ४
कर्तव्य = २ + २ + १ = ५
श्रुति = २
श्रव्य = २ + १ = ३ 

आदरणीय सलिल जी
मेरा मानना है कि:
वृष्टि = २ + २ = ४ न होकर २+१ = ३ होना चाहिये
वक्र = १ + २ = ३ न होकर २+१ = ३ होना चाहिये
शुक्र = १ + २ = ३ न होकर २+१ = ३ होना चाहिये
शंका समाधान प्रार्थित है।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह बहुत सुन्दर, चित्र जीवंत हो गया..हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, सत्य कहा है आपने जागते का स्वप्न सफलता की ओर अग्रसर करता…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रयास पर आपके मार्गदर्शन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद आपको सुन्दर लगा मेरा रचना कर्म सफल…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी छंद पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, मेरा यह प्रयास सफल रहा इसकी मुझे प्रसन्नता है. छंद पर निरंतर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है. सच है जग में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   एक  बैग  आज  हाथ, जो  लिया  तो  साथ साथ, आँख…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"मुन्नू अभी पाठशाला जाइए .. बहुत खूब सुझाव शाब्दिक हुआ है.  लेकिन, मुश्किलों को दिखा धता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी बहुत सुन्दर सारगर्भित छंद रचना हार्दिक बधाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service