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माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎

खाऊँ नही अन्न, जल पीऊँ भी न ‎
निराहार काटूँ  घड़ियां!‎
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎

करो सदा सत्कर्म प्रेरित माँ ‎
तुम बिन और कोउ नैयां!‎
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎

एड़ी माहुर मांग सेंदुर माँ ‎
पाउन अमर रहें बिछियाँ!‎
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎

गौरा के ज्यों शिव सदा है माँ ‎
मेरो अमर रहे सैयां!      ‎
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎

                           - गीतिका 'वेदिका'

मौलिक/ अप्रकाशित 

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Replies to This Discussion

बहुत प्यारी माँ स्तुति अतिसुन्दर ,बधाई आपको प्रिय गीतिका जी |

आपका आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी!

आपकी प्रथम प्रतिक्रिया से संबल प्राप्त हुआ|

 तीज पर साजन  के लिए माँ से विनती करती हुई अद्भुत रचना । सुंदर भाव । आपको बधाई गीतिका जी  । यों तो बुन्देली मुझे आती नहीं लेकिन स्नेह भाव किसी  भी भाषा मे  हो समझ आ ही जाते है । 

आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी!

आप सही कहती हैं, भाव ग्रहण करने हेतु भाषाई अवरोध कोई मायने नहीं रखते !! 

इतनी अच्छी प्रस्तुति पर तो बस जय माता की ! 

ही मन मे आता है !माता जी आपको शुभ आशीस दे ! 

आत्मीय प्रार्थना हेतु आपका आभार आदरणीय अमन जी!

शुभकामना हेतु धन्यवाद !!

  बुन्देली भाषा में 'हरितालिका तीज' पर  माता पार्वती से विनती करती हुयी बहुत सुंदर रचना , बहुत बहुत बधाई गीतिका जी

बधाई हेतु आभार !!

आदरणीया गीतिका जी बहुत ही सुन्दर व आकर्षक गीत! देशज भाषा में होने के बावजूद आपने इतने सरलता से इसे लिखा है कि भाव स्पष्ट होकर पाठक के समक्ष उपस्थित हो रहे हैं। आपको हार्दिक बधाई!
एक जिज्ञासा है कि अन्तरे में वह पंक्ति क्यों नहीं सम्मिलित की गयी जिसके बाद स्थायी गाना होता है।
सादर!

आदरणीय बृजेश जी!

आपकी पाठक धर्मिता को नमन, की आपने उस बोली का गीत पढ़ा और समझा जो की आपके अंचल का नहीं है| आपको शत शत आभार करती हूँ|

आपकी शंका का निवारण के तौर पर ये पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रही हूँ

//निराहार काटूँ  घड़ियां!‎
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!‎//

ये पंक्तियाँ हर बंद मे है जोकि स्थायी के पहले गायीं जाएंगी|

आदरणीय, यदि संभव हुआ तो मै जल्दी ही इस गीत की रेकोर्डिग प्रस्तुत करूंगी|

सादर !! 

आदरणीया गीतिका जी,ये भाषा ऐसी नहीं कि समझ न आए। मेरे हिसाब से टिप्पणी करने वाले अधिकांश लोग उस अंचल के नहीं हैं।
एक बात जानना है कि गीत का शिल्प क्या होता है?
क्या मनमर्जी शिल्प में परिवर्तन मान्य है?
मेरे हिसाब से शिल्प में कमी है। रिकार्डिंग से शिल्प सही नहीं होता।

आदरणीय बृजेश जी!

आपकी जिज्ञासा उचित है|  

//एक बात जानना है कि गीत का शिल्प क्या होता है?//

इस संबंध मे कहना चाहती हूँ कि अंचल के हजारों तरह के लोकगीत होते है| हर गीत का एक अपना अलग शिल्प होता है| 

//मेरे हिसाब से शिल्प में कमी है। रिकार्डिंग से शिल्प सही नहीं होता।//

आपके हिसाब से गीत के शिल्प में कमी अवश्य हो सकती है आदरणीय बृजेश जी! किन्तु गीत मैंने निराधार नही लिखा| 

रिकॉर्डिंग से शिल्प सही तो नहीं हो जाएगा, किन्तु शिल्प समझ मे आ जाता है| आशा है कि मै आपकी शंका निवारण कर पायी|

सादर गीतिका 'वेदिका'   

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