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छंद विधा : घनाक्षरी 

छंद प्रकार : वर्णिक 

विधान : [4 x (8+8+8+7)]

****

सात साल के छोटुआ, माने नहीं आवऽत बा    

गारी पारि-पारि देखs, मास्टरे भगावता ।       
 
एगो मोर संघतिया, बहुते सेयाना बनी, 
छोटुआ के पढ़ावे के, ऊ जिम्मा उठावता ।
 
बाते-बाते खेलवा के, फल-फूल गिनवा के,
लईकन के भर्माय, गिनती पढ़ावता ।
 
एक दुइ तीन.. अरे ..., चिचियाता छोटुआ जे,
भागऽ स रे सरवा ई, गिनिती सिखावता ॥
======================================================================================================
माने नहीं आना = बस में नहीं आना, गारी पारना = गाली देना, संघतिया = दोस्त, सेयाना = चतुर, जिम्मा = जिम्मेदारी, भर्माना = बहलाना, फुसलाना, सरवा = साला 
======================================================================================================

Views: 1312

Replies to This Discussion

हाहाहा !

हाहाहा!

इतना समझदार बच्चा, ऐसे बच्चों को बुद्धू बनाना आसान थोड़े ही होता है...दोस्त ज्यादा ही समझदार बनने चला था! 

बढ़िया हास्य घनाक्षरी के लिए बधाई गणेश जी.

रचना के सराहे बदे बहुते आभार डॉ प्राची जी ।

सही कहले बाबू. अस लारिकवन खातिर और कौनो तरीका नइखे  ब.

बधाई 

आदरणीय बागी जी 

हा हा हा ......... गणेश भाई, छोटुआ मानी ना, ऊ गिनती के बदले गारी पढ़े से बाज ना आई ......... हा हा हा ......... बहुते सुन्दर आ गुद्गुदावे वाला रचना।

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

एक दुइ तीन.. अरे ..., चिचियाता छोटुआ जे,
भागऽ स रे सरवा ई, गिनिती सिखावता ॥

हा हा हा हा हा हा..... छोटुआ एतना बुद्धू  बा का कि समझत नइखे कि राउर संघतिया ओ के गिनती सिखावत बा | बहुते बढियाँ, बधाई रउआ  के | सादर 

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