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पुस्तक समीक्षा Discussions (112)

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आचमनीय है इस ‘काव्य-कलश’ का सुधा-सलिल -डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

                     तंत्र में कलश एक निर्धारित माप का घड़ा होता है जिससे मांगलिक विधान किये जाते है  I इन विधानों में कलश में सभी तीर्थो का…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

2 Oct 17, 2014
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

एक संक्षिप्त टिप्पणी

सौरभ पांडेयजी के " इकड़ियाँ जेबी से " पढ़ा। इसमे संकलित सभी रचनाएँ साधारण है. उतनी जितनी कि हवा, धूप या पानी हो सकते हैं।  या यूँ कहें कि ख…

Started by ASHISH ANCHINHAR

0 Aug 25, 2014

पुस्तक समीक्षा – ‘’सच का परचम’’ ( ग़ज़ल संग्रह – अभिनव अरुण ) - समीक्षक - ज़हीर कुरैशी - भोपाल

पुस्तक समीक्षा – ‘’सच का परचम’’ ( ग़ज़ल संग्रह – अभिनव अरुण )  - समीक्षक - ज़हीर कुरैशी - भोपाल       आज जबकि पुस्तक प्रकाशन एक व्यवसाय मात्र…

Started by Abhinav Arun

5 Aug 1, 2014
Reply by gumnaam pithoragarhi

कोहरा सूरज धूप

समीक्षा ---जगदीश पंकज   'कोहरा सूरज धूप'--संस्कृति के भावी संवाहक का प्रयाण गीत   जब कोई  रचनाकार अपने समय के सरोकारों के साथ उपस्थित होता…

Started by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ

1 Jul 13, 2014
Reply by बृजेश नीरज

कोहरा सूरज धूप

समीक्षा ---जगदीश पंकज   'कोहरा सूरज धूप'--संस्कृति के भावी संवाहक का प्रयाण गीत   जब कोई  रचनाकार अपने समय के सरोकारों के साथ उपस्थित होता…

Started by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ

0 Jul 12, 2014

“सत्य के नहीं होते पँख”: मेरी दृष्टि में .. रचनाकार :श्री त्रिलोक मोहन पुरोहित

मानव जीवन को प्रभावित करने की दृष्टि से विश्व-भर में साहित्य से अधिक ज्ञान की कोई विधा नहीं है.इसमें भी कविता की अपरिमेयता और क्षमता सर्वो…

Started by Deepika Dwivedi

0 Jun 12, 2014

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी पुस्तक - " इकड़ियाँ जेबी से "पर मेरे विचार

इकड़ियाँ  जेबी से ‘ये इयकड़ियाँ नहीं अनमोल अशरफियाँ है’ आ0 योगराज सर की ये पंक्ति इस रचना संकलन के लिए एकदम उपयुक्त बैठती है । आदरणीय सौरभ पा…

Started by annapurna bajpai

2 Apr 30, 2014
Reply by Saurabh Pandey

'इकडियाँ जेबी से' - लोकधर्मी सुवास का शब्दांकन

समीक्षा --जगदीश पंकज 'इकडियाँ जेबी से' सौरभ पाण्डेय का प्रथम काव्य-संग्रह है । शीर्षक पहली नज़र में चौंकाता है जो संग्रह की इसी नाम से एक…

Started by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ

1 Apr 29, 2014
Reply by Saurabh Pandey

‘‘कोहरा सूरज धूप’’ एक समर्थ कवि के आने की आहट

जीवन काल में बहुत कुछ प्रथम बार घटता है। कुछ घटनाये पूर्व नियोजित होती हैं और कुछ अप्रत्याशित। अप्रत्याशित पर तो किसी का कोई वश नही है परन्…

Started by बृजेश नीरज

4 Apr 20, 2014
Reply by बृजेश नीरज

आदरणीय बृजेश 'नीरज ' की पुस्तक -' कोहरा सूरज धूप ' मेरे विचार मे

कोहरा सूरज धूप   आदरणीय बृजेश नीरज जी की काव्य कृति कोहरा सूरज धूप अपने नमानुकूल ही छाप छोड़ती है । जिस प्रकार सर्दी मे कोहरा छाया होता है औ…

Started by annapurna bajpai

1 Apr 17, 2014
Reply by बृजेश नीरज

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मिथिलेश वामनकर posted a discussion
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"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
53 minutes ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
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"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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