For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय बृजेश 'नीरज ' की पुस्तक -' कोहरा सूरज धूप ' मेरे विचार मे

कोहरा सूरज धूप

 

आदरणीय बृजेश नीरज जी की काव्य कृति कोहरा सूरज धूप अपने नमानुकूल ही छाप छोड़ती है । जिस प्रकार सर्दी मे कोहरा छाया होता है और सूरज के निकलते ही धीरे छटने लगता है और चारों ओर अच्छी धूप फैल जाती है यह धूप जनमानस को राहत पहुंचाती है । उनकी कृति यथार्थ का सम्पूर्ण चित्रण करती है, हर रचना जमीन से जुड़ी है । वे छंद मुक्त रचनाएँ लिखते है उनका मानना है है कि वैश्विक स्तर पर जन साधारण तक वैचारिक संप्रेषणीयता का सुगम मार्ग छंद मुक्त रचना ही है । इन रचनाओं के माध्यम से हर वर्ग तक आसानी से पहुंचा जा सकता है । वे अपनी रचनाओं मे कहीं भी क्लिष्ट शब्दों का चयन नहीं करते है । आ0 बृजेश जी समाज के ज्वलंत मुद्दों को ले कर छोटी छोटी रचनाएँ गढ़ लेते है और पाठक तक सीधे पहुँचने मे कामयाब रहते है । उनकी कृति इतनी सुगम है मुझे पढ़ने मे ज्यादा समय नहीं लगा । अपनी कृति का आरंभ माँ शारदा की वंदना से करते है :-

माँ शब्द दो ! अर्थ दो !!

रूप अरूप कुरूप मे

झूलती देह गल ही जाएगी

भावों का सीधा और सुगम सम्प्रेषण , एक और रचना देखिये :-

बस

कभी कभी

रात के सन्नाटे मे

एक कराह प्रतिध्वनित होती है

हे भागीरथ !!

तुम कहाँ ले आए ?

दिन भर की थकान के पश्चात घर पर परिवर के साथ बिताते हुए सुखद क्षणों मे भी कवि आम आदमी की जद्दोजहद को दर्शाता है :-

लेकिन ,

रात की इस शीतलता मे भी

चुभती है एक बात कि

शेष है

कल की रोटी की जुगाड़

कल्पनाओं को ऊंची उड़ान देते हुये भी वे यथार्थ से जुड़े ही रहते है

चाहता हूँ मै भी

तोड़ लाना आसमान के तारे

तुम्हारे लिए

लेकिन क्या करूँ

मेरा कद है बौना

हाथ छोटे

वे छोटी छोटी स्थितियों को भी सुंदर रचना का रूप दे देते है देखिये :-

खाली बाल्टी

और उसमे

नल से

बूंद बूंद टपकता पानी

मै देख रहा हूँ

किंकर्त्त्व्य विमूढ़

उनकी यह कृति उन्ही की कहन पर खरी उतरती है कि रचना छोटी हो सार गर्भित हो । उनकी हर रचना के गर्भ मे गहरे भाव हैं जो मानस को झकझोरते है कवि कि पीड़ा उनकी रचनाओं झलकती है , देखिये

हर बार कलम लिए

चलता हूँ कुछ  दूर

कुछ अक्षर कुछ शब्द

बिखर जाते है राह मे

फिर थका सा

लौट आता हूँ

अतृप्त .......

वहीं देश के प्रति उनका प्रेम भी झलकता है देखिये :-

फिर भी

इस गण के तंत्र मे

जहां जन के मन की बात

कोई नहीं सुनता

जन गण मन गाना अच्छा लगता है

उनकी रचनाओं मे गाँव की माटी की महक , चूल्हों की दहक , नून तेल चुपड़ी रोटी की खुशबू और प्रकृति की छोटी छोटी चीजों को लेकर चित्रण एवं जानवरों के प्रति प्रेम साफ झलकता है – वे अक्सर अपनी रचनाओं मे बिल्ली , कुत्ता , कुतिया , उल्लू , भैस इत्यादि को इंगित करते हुए भी लिखते है , देखिये :-

वह भूरी बिलार थी न

नहीं दिखती अब

पीपर के पास वाला

करिया कूकुर भी

आजकल नहीं दिख रहा

खिलावन की भैंस भी

एक दिन चरते चरते ...........

अच्छा हुआ तुम

लौट आए

हम फिर बैठेंगे

लइया चना गुड

और हरी मिर्च की चटनी

माँ की आराधना से आरंभ हुई उनकी कृति, राम कहाँ हो !! पर आकर रुकती है

समय हतप्रभ

धर्म ठगा सा है आज फिर

राम तुम कहाँ हो !

आदरणीय नीरज जी ने बड़े मनोयोग से सामान्य शब्दों के साथ सुंदर रचना की है , हर रचना एक संदेश प्रेषित करती है । कवि क्यों लिखता है ? इसीलिए ही न कि उसके भाव साधारण से साधारण जनमानस तक पहुंचे उनकी कृति इस पर पूरी तरह खरी है । उपरोक्त केवल मेरे विचार है कोई समीक्षात्मक टिप्पणी नहीं है ।  आ0 बृजेश जी साहित्य के जगत मे उच्चतम शिखर पर स्थान पाएँ । इस अभिलाषा के साथ प्रणाम ।

.......................... अन्नपूर्णा बाजपेई

 

 

 

 

 

Views: 508

Replies to This Discussion

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपका हार्दिक आभार! आपके शब्दों से बहुत बल मिला!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service